scriptहॉकी के गिरते स्तर की नहीं की थी कल्पना : अशोक ध्यानचन्द | The fall of hockey was not of the imagination: Ashok Dhyanchand | Patrika News

हॉकी के गिरते स्तर की नहीं की थी कल्पना : अशोक ध्यानचन्द

locationप्रतापगढ़Published: Sep 13, 2018 10:07:14 am

Submitted by:

Rakesh Verma

– प्रतापगढ़ आए हॉकी जादूगर ध्यानचंद के पुत्र से विशेष बातचीत

pratapgarh

हॉकी के गिरते स्तर की नहीं की थी कल्पना : अशोक ध्यानचन्द

प्रतापगढ़.हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द्र के पुत्र पद्मश्री अलंकृत और एवं 1975 में ओलंपिक्स में भारतीय हॉकी दल के कप्तान रहे अशोक ध्यानचन्द ने कहा कि आठ बार ओलम्पिक चैम्पियन रह चुके भारत में हॉकी का स्तर इतना गिर जाएगा, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि हॉकी फिर से अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा। वे यहां जनजाति विभाग की ओर से आयोजित चतुर्थ जनजाति राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के समापन पर विशिष्ट अतिथि के रूप प्रतापगढ़ आए थे। इस मौके पर पत्रिका से विशेष बातचीत में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी के गिरते स्तर एवं क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता बारे में खुलकर बात की। यहां पेश है बातचीत के प्रमुख अंश –
क्या कारण है कि विश्व पटल पर हॉकी नदारद हो रही है?
अशोक ध्यानचन्द: विशेष कारण तो कुछ भी नहीं। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है और रहेगा। हॉकी एक मेहनत भरा दिमागी खेल है। चौकस निगाहें, पैनापन, सटीक निशाना ये सब एकाग्रता पर निर्भर करता है। आज की युवा पीढ़ी में ये सब देखने को नहीं मिलता। सत्तर मिनट के खेल में 7 घंटे की मशक्कत के बराबर होता है। इसमें पैसा और प्रयोजकों की कमी है।
आपकी नजर में जिम्मेदार कौन?
अशोक ध्यानचन्द: हम सभी! हां हम सभी इसके लिए जिम्मेदार है। हम हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी से विमुख होकर क्रिकेट की ओर अग्रसर हो रहे हंै। क्रिकेट को लेकर प्रायोजक हरदम तैयार होते है। जबकि हॉकी के लिए प्रायोजक तलाशने पड़ रहे हैं।
क्या सरकार की भी जिम्मेदार है?
अशोकध्यानचंद: मुस्कुराते हुए …..हां में सिर हिला दिया।
हॉकी को बढ़ाने के लिए क्या कर सकते है?
अशोकध्यानचंद: हॉकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है और रहेगा इसके कोई शक नहीं है। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर ही नहीं जिला स्तर पर भी हॉकी खेल के लिए सुव्यवस्थित मैदान, संसाधन बेहतर प्रशिक्षक उपलब्ध कराया जाए। बच्चों में हॉकी के स्वर्णिम दौर के बारे में बताया जाए। उनमें इस खेल के प्रति रूचि पैदा की जाए।
सरकार को क्या करना चाहिए?
अशोक ध्यानचंद: स्कूली शिक्षा से ही बच्चों को हॉकी खेल के बारे में जागृति पैदा की जाए। इसके लिए सबसे जरुरी है कि स्कूलों में मैदान और संसाधन उपलब्ध कराए।
वर्तमान में हॉकी की स्थिति?
अशोकध्यानचंद: वर्तमान में हॉकी की स्थिति बेहतर है। और आगे भी बेहतर होगी। आज भारत की हॉकी टीम एशियाई देशों में पुन: अपना दबदबा बनाने में सफल हुई है। वह दिन भी दूर नहीं, जब ओलपिंक में भी अपना डंका बजेगा। देश में एक बार फिर हॉकी का वही स्वर्णिम दौर आएगा। अब देख लो आपके प्रतापगढ़ में भी अत्याधुनिक हॉकी मैदान की तैयारी होने वाली है। उन्हीं संभावनों की तलाश की जा रही है।
बच्चों के लिए संदेश?
खेलों के जरिए भी करियर बनाया जा सकता है। हां पढ़ाई भी जरूरी है। गेम्स कोई भी बुरे नहीं होते। लेकिन अपने राष्ट्रीय खेल से भी उतना ही प्यार करो।
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