
पंजाब के जालंधर में जन्मे 74 वर्षीय स्वामी मुक्तानंद गिरि ने अपने शैक्षिक और पेशेवर जीवन में ऊंचाइयां हासिल करने के बाद सनातन धर्म की ओर कदम बढ़ाया। मुक्तानंद गिरि ने इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया और डबल एमए (इंग्लिश और इकॉनॉमिक्स) की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी की। शानदार कॅरियर के दौरान उनका सालाना पैकेज 20 लाख रुपये से भी अधिक था।
1992 में 41 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया और सनातन धर्म के प्रचार में लग गए। उनके परिवार के लोग आज भी विदेश में रहते हैं, लेकिन मुक्तानंद गिरि ने संन्यास के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इन दिनों स्वामी मुक्तानंद महाकुम्भ में सेक्टर 18 स्थित संगम लोअर मार्ग पर पायलट बाबा के शिविर का संचालन देख रहे हैं। भगवा वस्त्रत्त् धारण किए हुए, सरल स्वभाव और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले मुक्तानंद गिरि के साथ जब लोग उन्हें फर्राटेदार अंग्रेजी और रूसी भाषा में बात करते हुए देखते हैं, तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
स्वामी मुक्तानंद का कहना है कि पंजाब में अक्सर संन्यासियों को गृहस्थ जीवन में असफल माना जाता है, लेकिन उन्होंने इस धारणा को गलत साबित किया। उनकी शिक्षा और करियर ने उन्हें दुनियाभर में पहचान दिलाई, लेकिन उन्होंने संन्यास का मार्ग अपनाकर पूरी तरह सनातन धर्म की सेवा में जीवन समर्पित कर दिया।
Updated on:
21 Jan 2025 12:25 pm
Published on:
21 Jan 2025 12:24 pm
बड़ी खबरें
View Allप्रयागराज
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
