हकीकत में देखा जाए तो वर्दी पर ड्यूटी दे रहे पुलिस वाले पर हाथ उठाना जुर्म है, लेकिन पुलिस इस मामले में यह पता लगा रही है कि मारपीट में वर्दी फटी थी या नहीं। इस घटना में आरक्षक के सिर, चेहरा, जबड़ा व आंख में गंभीर रूप से चोटें आई थी। आरक्षक ने घटना की रिपोर्ट भी कोतवाली थाने दर्ज कराई है, लेकिन आरोपी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
इस संबंध में कोतवाली पुलिस का कहना है कि घटना दिनांक को आरक्षक ड्यूटी में था या छुट्टी में इस संबंध में प्रतिवेदन जशपुर रक्षित केन्द्र भेजा गया है। उसका सर्टिफिकेट आने के बाद आरक्षक का १६४ में बयान लिया जाएगा, इसके बाद ही आरोपियों की धरपकड़ की जाएगी। पुलिस की इस कार्यशैली से अब यह सवाल उठने लगा है कि जब एक पुलिस वाले के साथ हुई घटना में इस तरह की जांच हो रही है तो फिर सामान्य लोगों के साथ क्या होता होगा।
शो-पीस बन कर रह गया सिटी बस का सीसीटीवी और जीपीएस, मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम भी नहीं जानकारी के मुताबिक गत २६ अक्टूबर को विरेन्द्र रक्षित केन्द्र जशपुर से 04.30 बजे डाक वितरण, नोटिस तामिल के लिए कोरबा, जिला जांजगीर चांपा के लिए निकला था। वहां से कर्तब्य प्रमाण पत्र, संबंधित डाक एवं नोटिस प्राप्त कर वह २९ अक्टूबर की रात रायगढ़ पहुंचा और रामभाठा अपने घर चला गया। ३० अक्टूबर की रात ढाई बजे वह रामभाठा से जशपुर जाने के लिए केवड़ाबाड़ी बस स्टैंड जा रहा था।
रास्ते में ही रामभाठा निवासी जीतू टंडन, धमेन्द्र टंडन, निखिल, राहुल एवं उनके साथी वहां पहुंचे और आरक्षक का रास्ता रोककर गाली-गलौज कर उसे जान से मारने की धमकी देते हुए उसेस मारपीट किया। इस घटना में आरक्षक गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी वर्दी भी फट गई थी। आरक्षक की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा २९४, ३२३, ३४१, ३५३, ५०६बी, ३४ के तहत अपराध दर्ज कर आरोपियों को पकडऩे की जगह पहले आरक्षक की ही जांच करने में लग गई है।
कहते हैं विवेचक
मामले की विवेचना कर रहे एएसआई प्रहलाद राठौर ने बताया कि आरक्षक ने खुद को पुलिस वाला बताया है। इससे घटना दिनांक को वह ड्यूटी पर था कि नहीं इसका पता लगाया जा रहा है। इसके लिए एक प्रतिवेदन डाक के माध्यम से जशपुर रक्षित केन्द्र भेजा गया है। जवाब आने के बाद आरक्षक का १६४ में न्यायालीन कथन लिया जाएगा और उसके बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।