
रायगढ़. ईस्ट रेल कारीडोर विशेष रेल परियोजना में शरणार्थी बस्ती प्रभावित हो रहा है। 33 डिसमील जमीन पर बने इनके मकान को अब प्रशासन सरकारी जमीन बताकर अधिग्रहण कर रही है, लेकिन बदले में न तो इनको कहीं अन्य जगह जमीन आबंटन किया जा रहा है न ही मुआवजा राशि दिया जा रहा है। इसको लेकर दो शरणार्थी परिवार कलक्टर से मिलकर शिकायत किए। जिस पर प्रभारी कलक्टर ने एसडीएम को इस मामले में जांच करने के लिए कहा है।
धरमजयगढ़ के बायसी कालोनी प्रेमनगर में पूर्वी पाकिस्तान बंग्लादेश से शरणार्थी के रूप में आए परिवार को सन १९८५ में शासन के आदेश पर जिला प्रशासन ने पांच एकड़ कृषि जमीन कृषि कार्य करने और 33 डिसमील जमीन में आवास निर्मित कर प्रत्येक हितग्राहियों को आबंटित किया गया।
कलक्टर को किए शिकायत में उक्त शरणार्थी कमला विश्वास व केशव विश्वास ने बताया है कि आबंटन के दौरान 5 एकड़ कृषि जमीन का ऋण पुस्तिका शासन द्वारा दिया गया लेकिन सरकारी जमीन में आवास बनाकर आबंटित किए गए मकानों का कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। अब धरमजयगढ़ से डोंगामहुआ तक जा रही रेल परियोजना में उनकी मकानें प्रभावित हो रही है इसको लेकर मुआवजा के लिए दावा करने पर तहसील कार्यालय में जमीन के दस्तावेज की मांग की जा रही है।
दस्तावेज के अभाव में न तो उनको जमीन के बदले जमीन मिल पा रहा है न ही मुआवजा राशि। उक्त मांग को लेकर शरणार्थी ने कलक्टर को शिकायत कर जमीन के बदले जमीन या फिर मुआवजा राशि दिलाने की मांग की है जिस पर कलक्टर ने एसडीएम को जांच करने के लिए लिखा है।
और भी होंगे प्रभावित
बताया जाता है कि वर्तमान में किए गए चिन्हांकन में दो किसान के मकान प्रभावित होने की बात सामने आई है लेकिन रेल लाईन की स्थिति को देखते हुए और भी शरणार्थी प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। उक्त सभी में इसी तरह के प्रकरण सामने आएंगे जिसमें मुआवजा राशि को लेकर विवाद फंसेगा।
उलझन में है तहसील
रेलवे लाईन में प्रभावित होने वाले उक्त शरणार्थियों को लेकर तहसील के अधिकारी भी उलझन में है। ऐसा पहली बार सामने आया है कि शरणार्थियों की जमीन को भू-अर्जन किया गया है इसलिए यह समझ में नहीं आ रहा कि ये मुआवजा के हकदार हैं या नहीं।
Published on:
23 Apr 2018 07:33 pm
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