
बीएससी नर्सिंग में नीट की अनिवार्यता हटाने की मांग (photo-patrika)
NEET Exam 2025: छत्तीसगढ़ के रायपुर में एनआरआई कोटे की सीटों पर 720 में महज 134 नीट स्कोर पर एडमिशन हो जाता है, जबकि इस स्कोर तक तो एसटी-एससी कैटेगरी के छात्रों का प्रवेश नहीं हो पाता। ऐसे में पैसे वाले पैरेंट्स स्पांसर्ड एनआरआई कोटे का फायदा उठाते हुए एडमिशन पाने में कामयाब हो जाते हैं। हालांकि 5 निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटों के हिसाब से 103 सीटें ही हैं। इसके कारण कई छात्र प्रवेश से वंचित भी रह जाते हैं।
कहने का मतलब यही है कि स्पांसर्ड एनआरआई कोटे में भी एडमिशन के लिए मारामारी की स्थिति है। पिछले साल की बात करें तो 143 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। 40 छात्रों को सीट नहीं मिल पाई, जबकि उन्होंने एजेंट के माध्यम से प्रवेश के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था। ऐसे पैरेंट्स अभी भी पैसे वापस लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं।
एनआरआई कोटे के तहत एडमिशन लेने वाले छात्र या पैरेंट्स काउंसलिंग के पहले कॉलेजों का चक्कर जरूर लगाता है। ताकि सीट पक्की की जा सके। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि कुछ कॉलेज एडवांस के रूप में 15 से 25 लाख रुपए जमा करवा रहे हैं। इधर पत्रिका के स्टिंग में एजेंट भी 5 लाख रुपए लेकर कॉलेजों में सीटें पक्की कराने का दावा कर रहे हैं। उनका यहां तक दावा कि बिना एजेंट के एनआरआई कोटे में प्रवेश नहीं हो सकता। हालांकि पिछले साल एजेंट के दावे के बावजूद कई छात्रों का एडमिशन नहीं हो पाया था।
एनआरआई कोटे की सालाना फीस 35 हजार अमेरिकी डॉलर है। इस हिसाब से साढ़े 4 साल के एमबीबीएस कोर्स की कुल फीस एक लाख 57 हजार 500 डॉलर यानी 1 करोड़ 34 लाख 99 हजार 325 रुपए है। बुधवार को एक यूएस डॉलर की कीमत 85.71 रुपए है, जबकि पिछले साल तक डॉलर की कीमत कम होने के कारण कुल फीस 1.32 करोड़ रुपए फीस थी।
एजेंटों का दावा है कि अगर छात्र या पैरेंट्स सीटें कॉलेज से मोल-भाव करेंगे तो उन्हें निर्धारित फीस जमा करनी होगी, जो कि अधिक है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन से मोलभाव कर पैकेज तय किया जाता है, जिससे एजेंट को भी अच्छा खासा फायदा हो जाता है। बड़े कॉलेज की फीस सवा करोड़ इसलिए है, क्योंकि वहां सभी सीटें बुक होने का दावा एजेंट कर रहे हैं।
पिछले साल एनएमसी ने डीएमई के अधिकारियों की बैठक में एनआरआई कोटे में लगातार हो रहे विवाद को देखते हुए दिल्ली से काउंसलिंग कराने यानी सीटों का आवंटन करने की बात कही थी। इस बात की वर्तमान में हवा निकल गई है। प्रदेश में भी पिछले साल मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था। वहां छात्रों के हित में फैसला दिया गया था।
इसके बाद रूकी हुई काउंसलिंग शुरू हो पाई थी। इस साल भी बिलासपुर के एक डॉक्टर ने जनहित याचिका लगाई है। इस पर सुनवाई चल रही है। दूसरी ओर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शासन को पत्र लिखकर एनआरआई कोटे में एडमिशन के लिए मार्गदर्शन मांगा गया है। अभी शासन से कोई जवाब नहीं आया है।
Published on:
10 Jul 2025 01:51 pm
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