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2025 CG Weather Report: कभी गर्मी तो… कभी बारिश, साल 2025 में छत्तीसगढ़ के मौसम का बदलता रहा मिजाज, जानें पूरी रिपोर्ट

2025 CG Weather Year Ender Report: साल 2025 में छत्तीसगढ़ का मौसम सामान्य पैटर्न से हटकर और कई स्तरों पर असंतुलित नजर आया। साल की शुरुआत में ठंड आम तौर पर कम समय की रही, वहीं फरवरी के आखरी से ही गर्मी ने दस्तक दे दी।

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2025 CG Weather Report: कभी गर्मी तो... कभी बारिश, साल 2025 में छत्तीसगढ़ के मौसम का बदलता रहा मिजाज, जानें पूरी रिपोर्ट(photo-patrika)

2025 CG Weather Report: कभी गर्मी तो... कभी बारिश, साल 2025 में छत्तीसगढ़ के मौसम का बदलता रहा मिजाज, जानें पूरी रिपोर्ट(photo-patrika)

2025 CG Weather Report: साल 2025 में छत्तीसगढ़ का मौसम सामान्य पैटर्न से हटकर और कई स्तरों पर असंतुलित नजर आया। साल की शुरुआत में ठंड आम तौर पर कम समय की रही, वहीं फरवरी के आखरी से ही गर्मी ने दस्तक दे दी। मार्च से तापमान तेजी से बढ़ा और अप्रैल–मई में कई जिलों में भीषण गर्मी व लू के हालात बने, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ।

CG Weather Year Ender 2025: छत्तीसगढ़ में असंतुलन का साल 2025

इसके बाद मानसून की शुरुआत देर से हुई और पूरे सीजन में बारिश का मिजाज अनिश्चित रहा- कहीं अत्यधिक वर्षा से जलभराव और बाढ़ जैसे हालात बने, तो कहीं कम बारिश से सूखे की स्थिति पैदा हुई। अगस्त में भारी बारिश ने नदियों और जलाशयों का जलस्तर बढ़ाया, जबकि सितंबर में मानसून की विदाई भी असामान्य रही।

मानसून के बाद अक्टूबर–नवंबर में भी उमस और छिटपुट बारिश का असर बना रहा, जिससे मौसम में नमी बनी रही। दिसंबर में ठंड अपेक्षा से देर से आई और तीव्र ठंड का असर सीमित रहा। कुल मिलाकर 2025 में छत्तीसगढ़ ने अत्यधिक गर्मी, अनियमित मानसून और कमजोर सर्दी जैसे बदलाव देखे, जिसे विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन का संकेत मान रहे हैं।

जनवरी–फरवरी 2025 | सर्दी का बदला मिजाज

राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में अगले जनवरी–फरवरी 2025 में अधिकतम व न्यूनतम तापमान 4 डिग्री तक बढ़ सकता है। यानी मार्च का पहला सप्ताह काफी गर्म रहने की संभावना है। 13 मार्च को होली है। ऐसे में गर्मी के बीच होली मन सकती है। ट्रेंड रहा है कि होली के दिनों में हल्की गर्मी रही है। मंगलवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 34 डिग्री रहा। वहीं, न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री रहा। दोनों ही तापमान सामान्य से एक डिग्री ज्यादा रहा।

आसमान में आंशिक बादल के कारण प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से डेढ़ डिग्री तक ज्यादा चल रहा है। बुधवार को दुर्ग सबसे ज्यादा गर्म रहा। यहां अधिकतम तापमान 34.8 डिग्री रहा। अंबिकापुर में सबसे कम तापमान 11.1 डिग्री रहा। बुधवार को रायपुर का अधिकतम तापमान 34 व न्यूनतम तापमान 20 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है।

ठंड का असर कम रहने से रबी फसलों पर हल्का प्रभाव पड़ा, क्योंकि फसलों को आवश्यक अवधि तक शीत वातावरण नहीं मिल पाया। वहीं दूसरी ओर, ठंड से जुड़ी बीमारियों के मामलों में सामान्य की तुलना में कमी दर्ज की गई, जिससे जनस्वास्थ्य पर इसका असर सीमित रहा।

मार्च–मई 2025 | असामान्य और तीखी गर्मी

मार्च से मई 2025 के दौरान छत्तीसगढ़ में गर्मी का मिजाज असामान्य रूप से तीखा रहा। मार्च की शुरुआत से ही तापमान में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई। अप्रैल और मई में प्रदेश के कई जिलों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया, जिससे भीषण गर्मी और लू के कई दौर चले। इस दौरान कुछ इलाकों में अचानक आंधी और हल्की बारिश जरूर हुई, लेकिन इससे गर्मी से राहत सीमित ही मिल सकी। लगातार पड़ती गर्मी ने आम जनजीवन के साथ-साथ स्वास्थ्य और बिजली-पानी की व्यवस्था पर भी दबाव बढ़ा दिया।

भीषण गर्मी के कारण दिन के समय सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और लोग अनावश्यक बाहर निकलने से बचते नजर आए। कई जिलों में हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के मामलों में बढ़ोतरी हुई, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट जारी करना पड़ा। गर्मी के कारण बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, वहीं जलस्रोतों के सूखने से पेयजल संकट भी गहराने लगा। स्कूलों के समय में बदलाव करना पड़ा और कुछ जगहों पर अवकाश घोषित किए गए। इस असामान्य गर्मी ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में मौसम का स्वरूप तेजी से बदल रहा है।

इस भीषण गर्मी का सीधा असर जनजीवन पर पड़ा। बच्चों की सेहत को देखते हुए कई जिलों में स्कूलों के समय में बदलाव किया गया। लगातार लू चलने से हीट स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी। वहीं, तेज गर्मी के चलते बिजली और पानी की मांग में भारी इजाफा हुआ, जिससे आपूर्ति व्यवस्था पर भी अतिरिक्त दबाव बना रहा।

जून–सितंबर 2025 | मानसून: कभी ज्यादा, कभी कम

मानसून की शुरुआत इस वर्ष थोड़ी देरी से हुई। जुलाई माह में बारिश का वितरण असमान रहा, जहां कुछ जिलों में अति वर्षा दर्ज की गई, वहीं कई इलाकों में सूखा जैसे हालात बने रहे। अगस्त में हुई भारी बारिश के चलते नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा और निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति निर्मित हो गई। सितंबर में मानसून की विदाई भी अनियमित रही, जिससे मौसम में अस्थिरता बनी रही और कृषि गतिविधियों पर इसका प्रभाव पड़ा।

मानसून की अनियमितता का सीधा असर धान की खेती पर देखने को मिला। कुछ जिलों में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ, जबकि जिन क्षेत्रों में बारिश संतुलित रही वहां उत्पादन बेहतर दर्ज किया गया। कुल मिलाकर धान की खेती पर मानसून का मिला-जुला प्रभाव रहा।

2025 साल हुई सामान्य से अधिक बारिश

साल 2025 में छत्तीसगढ़ में समय से लगभग 15 दिन पहले मानसून ने एंट्री ली थी. मानसून का प्रवेश छत्तीसगढ़ में 28 मई को हुआ था. उसके बाद 16 अक्टूबर 2025 तक मानसून राज्य में मौजूद रहा. इस दौरान प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है. इस सीजन में 1191.8 मिलीमीटर बारिश हुई है जो सामान्य बारिश की तुलना में 4% अधिक है.

मॉनसून के पहुंचने का 10 सालों का रिकॉर्ड

  • साल 2015 में छत्तीसगढ़ में 13 जून को मानसून ने दस्तक दी. उस साल 1048.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जो सामान्य बारिश की तुलना में माइनस 8% थी।
  • साल 2016 में छत्तीसगढ़ में 18 जून को मानसून ने दस्तक दी. इस दौरान पूरे प्रदेश में 1191.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो नॉर्मल बारिश की तुलना में प्लस 4% थी।
  • साल 2017 में छत्तीसगढ़ में 14 जून को मानसून पहुंचा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 1068.7 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई, जो नॉर्मल बारिश की तुलना में - 6% रहा।
  • साल 2018 में छत्तीसगढ़ में मानसून ने 8 जून को दस्तक दी थी. इस दौरान पूरे प्रदेश में 1130.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जो नॉर्मल बारिश की तुलना में -1% थी।
  • साल 2019 में छत्तीसगढ़ में मानसून 5 जून को आया था. इस दौरान पूरे मानसून सीजन में 1281 एमएम बारिश दर्ज की गई थी. जो नॉर्मल बारिश की तुलना में प्लस 12% अधिक रहा।
  • साल 2020 में छत्तीसगढ़ में 11 जून को मानसून पहुंचा. पूरे मॉनसून सीजन में 1250.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जो नॉर्मल बारिश की तुलना में प्लस 9% रहा।
  • साल 2021 में छत्तीसगढ़ में 10 जून को मानसून पहुंचा. पूरे मॉनसून सीजन में 1113 मिलीमीटर बारिश हुई जो नॉर्मल बारिश की तुलना में -3% रहा।
  • साल 2022 में छत्तीसगढ़ में 13 जून को मानसून पहुंचा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 1287 मिमी बारिश दर्ज की गई जो नॉर्मल बारिश की तुलना में प्लस 13 प्रतिशत रहा।
  • साल 2023 में छत्तीसगढ़ में 23 जून को मानसून ने दस्तक दी. पूरे मॉनसून सीजन में 1059.01 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जो नॉर्मल बारिश की तुलना में -7 प्रतिशत रहा।
  • साल 2024 में छत्तीसगढ़ में 8 जून को दक्षिण पश्चिम मानसून की एंट्री हुई. पूरे बारिश के सीजन में 1231.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. नॉर्मल बारिश की तुलना में प्लस 8% रहा।

अक्टूबर–नवंबर 2025 | लंबा रहा मानसून का असर

मानसून समाप्त होने के बाद भी छत्तीसगढ़ में मौसम पूरी तरह सामान्य नहीं हो सका। वातावरण में लगातार नमी और उमस बनी रही, जिससे लोगों को चिपचिपी गर्मी का सामना करना पड़ा। अक्टूबर माह के दौरान कई इलाकों में हल्की-फुल्की बारिश होती रही, जिससे मानसून के बाद का समय भी अपेक्षित रूप से शुष्क नहीं रहा।

इसका असर कृषि कार्यों पर भी पड़ा और खरीफ फसलों की कटाई में कुछ स्थानों पर देरी देखी गई। नवंबर आते-आते मौसम में हल्का बदलाव जरूर आया, लेकिन दिन के समय गर्मी बनी रही, जबकि रात में हल्की ठंड महसूस की जाने लगी। इस तरह मानसून के बाद का मौसम भी असंतुलित रहा और दिन-रात के तापमान में अंतर साफ तौर पर नजर आया।

मानसून के बाद मौसम में बनी नमी और उमस का असर कृषि और स्वास्थ्य दोनों पर पड़ा। इसके कारण खरीफ फसलों की कटाई में देरी हुई, जिससे किसानों को अतिरिक्त मेहनत और समय का सामना करना पड़ा। वहीं, बढ़ी हुई नमी के चलते मच्छरजनित बीमारियों के मामले भी बढ़े, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई और लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता महसूस हुई।

दिसंबर 2025 | देर से आई ठंड

ठंड के देर से शुरू होने के कारण लोगों ने सर्दियों के लिए अपेक्षित तैयारी समय पर पूरी तरह नहीं की। सुबह और रात के समय हल्की ठंड महसूस हुई, लेकिन दिन के दौरान मौसम अपेक्षाकृत हल्का रहा। इसके कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को गर्म कपड़ों और हीटर जैसी आवश्यकताओं की तीव्र जरूरत महसूस नहीं हुई।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने के कारण सर्दी से जुड़ी बीमारियों जैसे जुकाम, सर्दी-खांसी और श्वसन संबंधी समस्याओं में मामूली कमी देखी गई। कुल मिलाकर वर्ष 2025 में छत्तीसगढ़ में ठंड अपेक्षाकृत कमजोर और असामान्य रही।

ठंड की कम तीव्रता ने लोगों को कुछ हद तक राहत जरूर दी, लेकिन कृषि चक्र पर इसका असर महसूस किया गया। रबी फसलें अपेक्षित ठंड नहीं मिलने के कारण सामान्य समय पर पूरी तरह तैयार नहीं हो पाईं, जिससे खेती और फसल उत्पादन में असंतुलन देखने को मिला।

वर्ष 2025 में मौसम का मिजाज साफ तौर पर बदला हुआ नजर आया। गर्मी पहले से ज्यादा लंबी और तेज रही, जबकि ठंड की अवधि कम होती चली गई। पूरे साल बारिश भी तय समय और मात्रा में नहीं हुई—कहीं ज्यादा बरसी तो कहीं जरूरत के वक्त बारिश नहीं मिली। इसका असर खेती और जल स्रोतों पर अलग-अलग रूप में देखने को मिला। इसके अलावा आंधी-तूफान और अचानक मौसम बदलने की घटनाएं भी बढ़ीं, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि प्रदेश में मौसम तेजी से बदलाव की ओर बढ़ रहा है।