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छत्तीसगढ़ में इनकी संख्या कम हुई है। वहीं वाइल्ड लाइफ से जुडे़ हुए अधिकारी बाघों की संख्या में इजाफा होने का दावा कर रहे है। उनका कहना है कि बाघ के फुट प्रिंट के आधार पर 31 बाघ है। जबकि 2006 से 2010 में 26 बाघ, 2014 में 46 और अब 17 रहे गए है। संसद में केंद्रीय वन मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में इसकी जानकारी दी।
बता दें कि बाघों की संख्या को लेकर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार बढ़ा-चढाकर ब्यौरा दिया गया है। राज्य सरकार
बाघों को बचाने और संरक्षण-संवर्धन के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से 3 बाघ लाने के निर्देश दिए है। एनटीसीए से अनुमति मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी बाघों को लाने की कवायद में जुटे हुए हैं।
टाइगर रिजर्व को केंद्र सरकार द्वारा हर साल फंड जारी किया जाता है। इसका उपयोग बाघों के संरक्षण-संवर्धन के साथ ही सुरक्षित आवास उपलब्ध कराया जाना है। साथ ही वन्य प्राणियों और मानव के बीच के द्वंद को समाप्त करना है। इसके अलावा, बाघ अभयारण्यों के आसपास के अतिरिक्त क्षेत्रों में, आवास हस्तक्षेपों को प्रतिबंधित किया जाता है।
वहीं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मानव पशु संघर्ष से निपटने के लिए मानव आवास क्षेत्रों में बाघों के भटकने के कारण उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से निपटने पशुधन पर बाघों के हमले, बाघों के पुनर्वास की दिशा में सक्रिय प्रबंधन पर जोर देने की बात कही है।