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Advocate Day: स्टाम्प से स्टेटमेंट और टाइपिस्ट से ट्रायल रूम पहुंचे ये वकील, अधिवक्ता दिवस पर पढि़ए दो कहानी

Advocate Day: देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है। राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थे।

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Advocate Day: ताबीर हुसैन. 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया जाता है। देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है। राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थे। इन सबके पहले वह वकील रहे।

इस दिवस पर हम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट कैम्पस से दो ऐसे वकीलों की कहानियां लेकर आ रहे हैं जो साबित करती हैं कि व्यक्ति में माहौल का कितना असर पड़ता है। इनमें से एक हैं ज्योति ताम्रकर जो कोर्ट कैम्पस में स्टाम्प बेचा करती थीं और दूसरे हैं सिब्तैन रजा जो टाइपिस्ट थे। आज दोनों कोर्ट कैम्पस से वकालत तक पहुंचे हैं।

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Advocate Day: दूसरों के केस करते थे टाइप, अब क्लाइंट के करवाते हैं

मौलाना सिब्तैन रजा ने बताया, मैं साल 2000 से न्यायालय परिसर में आ रहा हूं और 2006 से टाइपिंग करना शुरू किया। मुझे लगा कि लॉ की डिग्री ले लूं तो वकालत कर सकूंगा। कुछ ऐसी घटनाएं हुईं कि मुझे लॉ की पढ़ाई करनी पड़ी। मैंने मौलाना का कोर्स किया था, हदीस और कुरान पढ़ा था इसलिए वकालत पढऩे में मुझे ज्यादा कठिनाई नहीं हुई।

हालांकि शुरू में मुझे कुछ लोग कहते थे कि आप मौलाना हो, इस लाइन में मत आइए, क्योंकि यहां झूठ बोलना पड़ता है। मैं बैजनाथ पारा स्थित मुस्लिम यतीम खाना में बच्चों को पढ़ाया करता था। मेरे पास कोई भी क्लाइंट केस लेकर आता है मैं लड़ता हूं। उसमें सच या झूठ मैं नहीं देखता क्योंकि यह काम तो माननीय न्यायालय का है।

5 साल सिविल जज की तैयारी को दिए

साल 1950 से पापा स्टाम्प वेंडर का कार्य कर रहे हैं। जब मैं 10 साल की थी तबसे कोर्ट आना-जाना लगा रहता था। स्कूल के बाद मैं अक्सर पापा के पास जाती थी। इस बीच मैंने अधिवक्ताओं को चालान पटाना शुरू किया। वकालत करने का मेरा रुझान तभी शुरू हो गया था। फिर मैंने भी स्टाम्प वेंडर का लाइसेंस लिया। फिर मुझे लगा कि वकालत करनी चाहिए। स्टाम्प बेचते-बेचते मैंने लॉ की पढ़ाई शुरू कर दी।

पढ़ाई पूरी होते तक मेरी रुचि सिविल जज बनने की दिशा में बढ़ी। मैंने 5 साल इस परीक्षा की तैयारी में दिए और मेंस तक पहुंची लेकिन इंटरव्यू तक नहीं पहुंच पाई। इसके बाद मेरा रुख वकालत की ओर हो गया। साल 2015 से मैं वकालत कर रही हूं। अब तक मैंने 1000 से ज्यादा 138 के केस सॉल्व किए हैं। मैं रेवेन्यू फील्ड का काम बहुत अच्छे से करती हूं। भावी वकीलों को दिए संदेश में कहा कि एजुकेशन पूरी करें और हो सके तो सिविल जज की तैयारी करें। अगर सफल न भी हों तो इस पढ़ाई का सही उपयोग सही जगह पर कर सकेंगे जैसे मैं कर रही हूं।