
Ayushman Yojana: आयुष्मान योजना में लूट... तीन निजी अस्पतालों पर कार्रवाई, तीन माह के लिए सस्पेंड(photo-patrika)
Ayushman Bharat Yojana: छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश के निजी अस्पतालों में आईसीयू के नाम पर भी खेल हो रहा है। ये कैसा आईसीयू है, जहां न वेंटिलेटर है और ना ही ट्रेंड नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ। यहां तक की वेंटिलेटर चलाने के लिए इंटेविस्ट (एनेस्थेटिस्ट) तक नहीं है। फुलटाइमर डॉक्टर भी नहीं होते।
फिर भी ऐसे अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है? ये बड़ा सवाल है कि नर्सिंग होम एक्ट व आयुष्मान भारत योजना में पंजीयन के पहले अस्पताल का निरीक्षण करने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम क्यों आंख मूंदकर अस्पतालों को मान्यता दे रही है।
जानकारों का कहना है कि इसमें अस्पताल संचालकों व अधिकारियों की मिलीभगत है। कम सुविधा व डॉक्टरविहीन अस्पतालों के आईसीयू क्लेम भी आसानी से अप्रूव किया जा रहा है। हालांकि यदा-कदा ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन यह नाकाफी है।
आयुष्मान योजना में ऐसे छोटे व मझोले अस्पताल फल-फुल रहे हैं, जहां नाममात्र की सुविधा है। ‘पत्रिका’ पड़ताल में कई डॉक्टरों ने कहा कि ऐसे अस्पतालों में फेक क्लेम किया जा रहा है। इससे न केवल सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि मरीजों की जान के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
दरअसल, ऐसे आईसीयू में भर्ती मरीजों को किस तरह की मेडिकल फेसिलिटी मिलती होगी। जिन मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत भी होती होगी, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है। ऐसे में मरीज की जान पर खतरा हमेशा बना रहता है। जब मरीज गंभीर रहता है, तब उन्हें रेफर किया जाता है। ऐसे में कई मरीजों की मौत भी हो जाती है।
राजधानी के कई बड़े निजी अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टर की जगह बीएएमएस यानी आयुर्वेद डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। ऐसा अस्पताल का खर्च बचाने के लिए किया जाता है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि कुछ अस्पताल आईसीयू में भी आयुर्वेद डॉक्टरों को रख रहे हैं। ऐसे डॉक्टर किस तरह मरीजों का मैनेजमेंट करते होंगे, आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
हालांकि कुछ डॉक्टरों ने पत्रिका को बताया कि बीएएमएस डॉक्टरों को भी मरीजों के इलाज की पूरी ट्रेनिंग मिली होती है। हालांकि एमबीबीएस व बीएएमएस की पढ़ाई में काफी अंतर है। ऐसे में गंभीर मरीजों की देखभाल के लिए आयुर्वेद डॉक्टरों को रखना सवालों के घेरे में है। आयुष्मान योजना के तहत जब अस्पतालों का पंजीयन किया जाता है, तब डॉक्टरों की उपलब्धता के अनुसार इलाज की अनुमति दी जाती है। ऐसे कई निजी अस्पताल हैं, जहां मेडिसिन के डॉक्टर है अथवा इलाज की अनुमति होती है, वे अस्थि या अन्य बीमारियों के मरीज को भर्ती करते हैं।
हड्डी संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए मान्यता वाले अस्पताल अन्य बीमारों का इलाज करते हैं। नियमानुसार यह गलत है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का इस पर नजर ही नहीं है। नजर है भी तो कार्रवाई नहीं होती। आरोप है कि लेन-देन कर ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती। वरना कार्रवाई हो तो कई अस्पतालों में ताले लग जाएंगे।
Published on:
15 Feb 2025 09:15 am
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
