28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रीवा पुरातत्व खुदाई में मौर्य से कलचुरी काल तक मिले अनमोल अवशेष, अमरीका भेजा गया सैंपल

CG News: पुरात्तव एवं अभिलेखागार के उप संचालक पीसी पारख ने बताया कि अवशेष के तीन सैंपल की जांच से इसकी तिथि व काल का निर्धारण होगा।

2 min read
Google source verification
मौर्य और कलचुरी काल के मिले अनेक अवशेष (Photo source- Patrika)

मौर्य और कलचुरी काल के मिले अनेक अवशेष (Photo source- Patrika)

CG News: रीवा में लंबे समय से पुरातत्व एवं अभिलेखागार विभाग की ओर से खुदाई की जा रही है। इसमें मौर्य काल से कल्चुरी काल तक के अवशेष मिले हैं। इसमें सिक्के, स्तूप, कुएं भी शामिल हैं, लेकिन विभाग को अब तक इनका असली वर्ष मालूम नहीं है। विभाग ने यहां की जमीन के नीचे से मिले अवशेष चारकोल (कोयला) कार्बन टिंग के तीन सैंपल जांच के लिए अमरीका भेजे हैं।

विभाग के अनुसार, यहां मिली चीजों में उसकी लिपी, शैली के अनुसार काल निर्धारण किया जाता है। इसमें 100 से 200 साल का अंतर होता है, लेकिन इस सैंपल जांच से इसके निश्चित सन की जानकारी मिलेगी। अगर जांच में पता चलता है कि यह जगह और मिली चीजें काफी पुरानी हैं तो हो सकता है कि भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण इसे अपने अंडर में ले ले।

CG News: एडवांस साइंटिफिक तरीके से होगा टेस्ट

पुरात्तव एवं अभिलेखागार के उप संचालक पीसी पारख ने बताया कि अवशेष के तीन सैंपल की जांच से इसकी तिथि व काल का निर्धारण होगा। इसके लिए अमरीका की लैब में इसका टेस्ट किया जा रहा है। इसका टेस्ट एडवांस साइंटिफिक तरीके से किया जा रहा है, जिससे इसमें गड़बड़ी की गुंजाइश न हो। साइंटिस्ट केमिकल के जरिए इसका टेस्ट करके इसी माह विभाग को रिपोर्ट सौपेंगे।

देश में सिर्फ दो जगहों पर होता है टेस्ट

उप संचालक पारख ने बताया कि देश में सिर्फ दो जगह इस तरह की केमिकल जांच की जाती है। जिसमे औरंगाबाद और लखनऊ शामिल हैं। लखनऊ में रीवा के अवशेष की कार्बन डेंटिंग कराने के लिए दो से तीन बार पत्राचार किया गया था, पर जवाब नहीं मिला। औरगांबाद में कॉन्टेक्ट किया गया, लेकिन वहां सैंपल लेकर बुलाया गया और रिजल्ट देने में 6 माह का वक्त लगने की बात कहीं। इसलिए अमरीका भेजा गया।

देश में औरंगाबाद और लखनऊ में ही इस टेस्ट की सुविधा

CG News: जानकारी के अनुसार कार्बन डेंटिंग बनने में हजारों सालों का वक्त लग जाता है। जमीन पर लगे पेड़-पौधे, वनस्पती हजारों सालों में कोयले के रूप में परिवर्तित होते हैं। इसकी ही जांच कर इसके वास्तविक वर्ष के बारे में बताया जा सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादातर सैंपल जांच के लिए अमरीका ही भेजे जाते हैं। इसमें ज्यादातर रिसर्च इंस्टीट्यूट व यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

100 ग्राम के 1,80,000 रुपए लगे

तीन सैंपल को अलग-अलग पॉलिथिन में पैक कर टेस्ट के लिए भेजा गया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक सैंपल का करीब 60 हजार रुपए लगा है। इस हिसाब से 1,80,000 रुपए टेस्ट के लग रहे हैं। यह सैंपल लगभग सौ ग्राम का है।