
घर से निकलें तो सावधानी जरूरी (Photo source- Patrika)
CG News: सावधान… नगर निगम का कैटल फ्री जोन कागजों में चल रहा है। कोई अभियान नहीं, कोई देखने वाला नहीं…। राजधानी की ऐसी कोई सड़क अब नहीं बची है, जहां मवेशी खुलेआम विचरण करते न दिख जाएं। इसलिए अब जब भी अपने घरों से वाहन लेकर सड़कों पर निकलें तो खुद की रिस्क पर… अपनी सुरक्षा खुद करनी है और मवेशियों को भी बचाना है। क्योंकि यदि थोड़ी-सी भी नजर हटी तो कभी भी हादसा हो सकता है।
निगम द्वारा बनाए गए कांजी हाउस में मवेशियों को रखने की जगह नही है। पिछले साल जब एक हाईकोर्ट के जज की गाड़ी मवेशियों के बीच फंसी थी, तब जरूर निगम प्रशासन ने काऊकेचर अभियान चलाया था। इसके लिए टीमें बनाई गई थीं। नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए थे। इस बार ऐसा कुछ नहीं है। ऐसे में घनी आबादी से घिरी शहर सड़कें हों, रिंग रोड हो, बाजार की सड़कें हो या आउटर की हर जगह मवेशी झुंड में विचरण कर रहे हैं।
राममणि यादव, पूर्व उपसंचालक, नगरीय प्रशासन: देश के किसी भी निकाय में घूम आइए… वहां की अच्छी व्यवस्थाओं को भी देख लीजिए। परंतु जब तक अच्छे सिस्टम पर अमल नहीं करते, तो देखने या समझने का कोई मायने होते नहीं है। यह चिंताजनक है कि राजधानी की हर सड़क पर खतरा है।
मवेशियों के झुंड से दुर्घटना होने का खतरा तो है ही, सबसे ज्यादा असर साफ-सफाई पर भी पड़ता है। क्योंकि वाहनों के पहिए पर लगा गोबर एक जगह तो रुकता नहीं, बल्कि काफी दूर तक फैलता है। शहर की ये बड़ी समस्या है, इसका निदान तो होना ही चाहिए। बरसात में ये समस्या चौगुनी बढ़ जाती है। इसका ध्यान जरूर रखना चाहिए।
विनोद पांडेय, अपर आयुक्त, स्वास्थ्य विभाग, निगम: काऊकेचर अभियान बंद नहीं है। निगम प्रशासन का साफ निर्देश है कि जोन स्तर पर अभियान चलाकर गोपालकों को हिदायत दें और मोटी रकम का जुर्माना भी लगाएं। गोठानों और कांजी हाउस की भी क्षमता होती है। अभियान कारगर तरीके से चलाया जाएगा।
CG News: पत्रिका टीम ने राजधानी की ऐसी दर्जनभर से ज्यादा सड़कों, ओवरब्रिज के नीचे, चौराहों पर मवेशियों को अपने कैमरे में कैद किया। रात के समय कई बार मवेशी सड़कों पर नजर नहीं आते। इससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है। आवारा मवेशियों के गले पर रेडियम पट्टी भी नहीं लगाई गई है। इससे यह नजर नहीं आते।
Published on:
15 Jul 2025 09:13 am
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