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CGBSE Result 2018: CM का गृह जिला पिछड़ा, टॉपर लिस्ट में यहां से नहीं मिला एक भी होनहार

CG बोर्ड परीक्षा परिणामों में CM डॉ. मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिला कवर्धा की बात करें तो यहां का एक भी बच्चा टॉप टेन में जगह नहीं बना पाया।  

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CGBSE Result 2018: CM का गृह जिला पिछड़ा, टॉपर लिस्ट में यहां से नहीं मिला एक भी होनहार

रायपुर . छत्तीसगढ़ 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में एक ओर जशपुर और बिलासपुर के स्टूडेंट्स का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा। वहीं अगर मुख्यमंत्री डॉ. मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिला कवर्धा की बात करें तो यहां का एक भी बच्चा टॉप टेन में जगह नहीं बना पाया।

दसवीं बारहवीं के नतीजे कुछ जिलों के लिए बहुत ही अच्छे नतीजे लेकर आया है, लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री का गृह जिला कवर्धा और स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप का गृह जिला ज्यादा सौभाग्यशाली साबित नहीं हुआ है। दोनों ही जिलों से 10वीं और 12वीं की टॉप टेन की सूची में एक भी स्टूडेंट जगह नहीं बना सकी है। हालांकि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव के बच्चों ने टॉप टेन की सूची में अपना स्थान जरूर बनाया है।

CG 10वीं-12वीं Board Result की ये रही खास बातें
- मंडल के इतिहास में पहली बार एक साथ 10वीं-12वीं के नतीजे जारी हुए।
- स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के आने में हुई देरी की वजह से 16 मिनट देरी से जारी हुए नतीजे।
- दसवीं टॉप 10 की सूची में 30 स्टूडेंट शामिल।
- दसवीं के परिणाम में लड़कियां आगे रही, लेकिन टॉप-१० की सूची में पिछड़ीं। टॉप टेन में 13 लड़कियों और 17 लड़कों ने बनाया स्थान।
- 12वीं की परीक्षा में लड़कियों का प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा लेकिन टॉप 10 की सूची में पिछड़ीं।
- 12वीं की टॉप 10 में कुल 29 स्टूडेंट्स के नाम इनमें 9 बालिकाएं और 20 बालक शामिल हैं।
- पिछले साल की तुलना में इस साल 12वीं का परीक्षा परिणाम 0.36 फीसदी अधिक रहा।
- पिछले साल की तुलना में दसवीं का परिणाम 7 फ़ीसदी अधिक रहा।
- 12वीं के नतीजों में प्राइवेट स्कूलों का दबदबा रहा, 12वीं में प्राइवेट स्कूल के 21 और शासकीय स्कूल के 8 बच्चे मेरिट में आए।
- दसवीं में निजी और शासकीय स्कूलों के बच्चों की संख्या रही बराबर।
- 15 निजी और 15 शासकीय स्कूलों के बच्चों ने किया टॉप।

उठते हैं सवाल
माओवाद प्रभावित क्षेत्रों समेत कई जिलों के बच्चों के मेरिट सूची से बाहर होना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है। प्रदेश सरकार द्वारा निरंतर इन क्षेत्रों को प्राथमिकता पर रखा जाता रहा है, इसके बावजूद इन क्षेत्रों के परिणाम सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करने वाले हैं।