
CG News: छत्तीसगढ़ राज्य प्राकृतिक संसाधन और कार्यदक्षता के बदले विकास के पथ पर अग्रसर है। राज्य निर्माण के 24 साल पूरे हो गए हैं। राज्य अपनी स्थापना के 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस अवधि में छत्तीसगढ़ ने विकास के दौर में ऊंची छलांग लगाई है। छत्तीसगढ़ का निर्माण उत्तराखंड और झारखंड के साथ हुआ था। 24 वर्षों में छत्तीसगढ़ इन दोनों राज्यों से विकास के क्षेत्र में आगे निकल चुका है। अपने अकूत प्राकृतिक संसाधन कोयला और पानी के बदौलत राज्य बिजली उत्पादन के क्षेत्र में देश भर में अपनी डंका बजा रहा है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 24 हजार 777 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसमें कोयले से बनने वाली बिजली 23 हजार 688 मेगावॉट है। हालांकि प्रदेश जितनी अधिक बिजली बना रहा है उसका महज 22 से 23 फीसदी की खपत ही कर पा रहा है लेकिन यह खपत समय के साथ बढ़ रही है। प्रदेश में सालाना साढ़े सात फीसदी से आठ फीसदी तक बिजली की मांग बढ़ रही है। यह प्रदेश के विकास के पथ पर बढ़ते कदम का प्रतीक है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए रोजाना लगभग 5200 मेगावॉट की बिजली की जरूरत पड़ रही है। इस साल पीक सीजन अप्रैल-मई में यह जरूरत बढ़कर 5600 मेगावॉट के आसपास पहुंची थी। यह जरूरतें धीरे-धीरे और बढ़ रही हैं। पिछले माह अक्टूबर में सेंट्रल एनर्जी अथॉरिटी (सीईए) की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है इसमें छत्तीसगढ़ की भविष्य में होने वाली बिजली जरूरतों को बताया गया है। सीईए के अनुसार 2026-27 में छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए 7661 मेगावॉट (49561 मिलियन यूनिट) बिजली की जरूरत होगी।
प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ने का सबसे बड़ा कारण प्रदेश में बढ़ते उद्योग धंधे हैं। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश सरकार ने समय-समय पर ऐसी नीति बनाई है जिससे नामी-गिरामी कंपनियां छत्तीसगढ़ में आई हैं। इन्होंने यहां कारखाना लगाया है और उत्पादन शुरू किया है। इसके साथ-साथ स्थापना के साथ से प्रदेश सरकार कृषि विकास को प्राथमिकता देती आई है।
इससे किसान खेती को लेकर आकर्षित हुए हैं और उन्होंने खेती में नई तकनीक के साथ-साथ हाइब्रिड का इस्तेमाल शुरू किया है। तकनीक बढ़ने से प्रदेश में बिजली की खपत बढ़ रही है। इससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। लोगों के रहन-सहन का तरीका बदल रहा है। घरों में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का इस्तेमाल बढ़ा है इससे बिजली की खपत बढ़ी है।
प्रदेश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। सीईए की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2016-17 में छत्तीसगढ़ को अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए 3875 मेगावॉट बिजली का इस्तेमाल करना पड़ा था जो वर्तमान में बढ़कर 5600 मेगावॉट तक पहुंच गया है। 2026-27 तक प्रदेश में बिजली की खपत 7661 मेगावॉट हो जाएगी।
सीजी-जेएच-यूके: किसमें-कितना पावर
-बॉयोमास से - 335
-बॉयोमास से- 4
-कोयला से -0
-गैस से - 450
Updated on:
06 Nov 2024 08:30 am
Published on:
06 Nov 2024 08:29 am
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