
हैल्थ साइंस विवि ने जारी किया फरमान (photo source- Patrika)
CG News: चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़े मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेद, फिजियोथैरेपी व होम्योपैथी कॉलेजों के डॉक्टरों व छात्रों को एप्रन पहनना अनिवार्य होगा। इनमें अध्ययनरत छात्र-छात्रा के अलावा इंटर्न, जूनियर-सीनियर रेसीडेंट के अलावा फैकल्टी शामिल हैं। यही नहीं उन्हें चिकित्सा शिक्षा शिष्टाचार के अंतर्गत नाम पट्टिका भी जरूरी है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय हेल्थ साइंस एंड आयुष विवि ने सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन व अन्य कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर चिकित्सा शिक्षा के जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि विवि से संबद्ध सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में यह देखा गया है कि छात्र-छात्राएं, इन्टर्न, जूनियर/सीनियर रेसीडेंट एवं फैकल्टी प्रोफेसर से लेकर अन्य डॉक्टर चिकित्सा शिक्षा के सामान्य शिष्टाचार के अन्तर्गत एप्रन धारण नहीं करते है।
यह चिकित्सा शिक्षा के गरिमा के प्रतिकूल है। एप्रन के साथ नाम पट्टिका का धारण करने से मरीजों को डॉक्टरों को पहचानने में सुविधा होती है। सभी डीन व प्राचार्य उक्त शिष्टाचार का कड़ाई से पालन करें। इसकी मॉनिटरिंग करने को भी कहा गया है।
CG News: मेडिकल कॉलेज व आंबेडकर अस्पताल में कई मौकों पर जब स्वास्थ्य मंत्री, सचिव व कमिश्नर दौरा करते हैं, तब फैकल्टी व अन्य डॉक्टर एप्रन पहने दिखते हैं। कई डॉक्टरों के एप्रन के ऊपर नाम पट्टिका लगी नहीं दिखती। हालांकि एमबीबीएस व पीजी के छात्र एप्रन पहने दिखते हैं।
छात्र का नाम भी लिखा रहता है। देखने में आता है कि मेडिको सोशल वर्कर (एमएसडब्ल्यू) जरूर एप्रन पहने नजर आते हैं। ये मरीजों की मदद के लिए रहते हैं। मेडिकल कॉलेज व आंबेडकर में 12 से ज्यादा एमएसडब्ल्यू है। आम मरीज उन्हें ही डॉक्टर समझने लगते हैं। यही हालत आयुर्वेद, डेंटल, फिजियोथैरेपी व होम्योपैथी कॉलेजों का है।
Updated on:
10 Dec 2025 09:59 am
Published on:
10 Dec 2025 09:58 am
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