
CG Hospital News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में आंबेडकर अस्पताल में कई विभागों के डॉक्टर इमरजेंसी केस के दौरान भी फोन नहीं उठा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को त्वरित इलाज कैसे मिल पाता होगा?
डॉक्टरों की ऐसी मनमानी पर नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन सख्त हो गया है। डीन डॉ. विवेक चौधरी ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर इमरजेंसी में फोन नहीं उठाने पर टेलीफोन भत्ता बंद करने की चेतावनी दी है। साथ ही ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। यही नहीं इसे सीआर में भी अंकित किया जाएगा।
CG Hospital News: आंबेडकर अस्पताल में मरीजों के इलाज पर लापरवाही की बातें सामने आती रही हैं। डीन के पत्र से इसका खुलासा भी हो गया है। इमरजेंसी केस में कंसल्टेंट डॉक्टरों की राय की जरूरत होती है। ऐसे में अस्पताल में मौजूद जूनियर डॉक्टर किस तरह मरीजों का बेहतर इलाज या ऑपरेशन कर पाएगा, सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कई जूडो तो कंसल्टेंट डॉक्टरों को फोन लगाने से भी घबराते हैं।
दरअसल अस्पताल में ऐसे कई वाकया हुआ है कि जिसमें जूडो को कंसल्टेंट डॉक्टरों की झिड़की सुननी पड़ी है। ऐसे में मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। डीन ने एचओडी को लिखे पत्र में कहा है कि सभी डॉक्टरों को शासन से टेलीफोन भत्ता दिया जा रहा है। इसके बावजूद इमरजेंसी में जब उनकी जरूरत होती है तो कॉल ही नहीं उठाते। चूंकि मेडिकल कॉलेज में यूनिटवाइज डॉक्टरों की ड्यूटी होती है। ऐसे में मरीजों का इलाज भी यूनिटवाइज ही किया जाता है। ऐसे में भी डॉक्टरों का फोन नहीं उठाना गंभीर लापरवाही है।
अस्पताल में हमेशा मौजूद रहने वालों में जूडो यानी पीजी स्टूडेंट होते हैं। इमरजेंसी में जब कोई केस आता है तो इसे जूडो ही हैंडल करते हैं। जब केस गंभीर हो तो जूडो सबसे पहले सीनियर रेसीडेंट को कॉल करता है। इसके बाद असिस्टेंट प्रोफेसर को कॉल किया जाता है।
यही नहीं यूनिट के अनुसार ऑन कॉल डॉक्टरों की ड्यूटी भी लगाई जाती है। ताकि विषम परिस्थितियों में इलाज व ऑपरेशन की स्थिति में डॉक्टरों को अस्पताल बुलाया जा सके। दरअसल सड़क दुर्घटना में कई बार हेड इंजुरी व मेजर फ्रेक्चर वाले मरीज आते हैं। ऐसे मरीजों को तत्काल इलाज की जरूरत होती है।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने हाल में सभी डॉक्टरों को शाम का राउंड करने का आदेश जारी किया था। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि ये आदेश हवा में उड़ गया है। किसी विभाग का डॉक्टर राउंड लेने नहीं जा रहा है। बताया जाता है कि यह आदेश कॉलेज से जारी तो हो गया है, लेकिन अस्पताल में देरी से प्रसारित हुआ।
अस्पताल के कई जिम्मेदार डॉक्टर शाम को प्राइवेट प्रेक्टिस करते नजर आते हैं। हालांकि उनका तर्क है कि वे एनपीए नहीं ले रहे हैं इसलिए प्रेक्टिस कर सकते हैं। यहां तो एनपीए लेकर भी कई डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं। सूची सार्वजनिक करने के बाद भी कोई असर नहीं पड़ा है।
Updated on:
24 Dec 2024 10:53 am
Published on:
24 Dec 2024 10:50 am
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
