28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ganesh Utsav 2025: रायपुर के लाखे नगर में 4 लाख की गणेश प्रतिमा, बाल स्वरूप का क्रेज इस बार भी बरकरार

Ganesh Utsav 2025: लोग मेरी बनाई मूर्तियां देखकर मुस्कुराते हैं, तो वही मेरी सबसे बड़ी सफलता है। लाखे नगर में इस बार सिंधु युवा एकता गणेशोत्सव समिति ने करीब 4 लाख रुपए की प्रतिमा बनवाई है।

2 min read
Google source verification
Ganesh Utsav 2025: रायपुर के लाखे नगर में 4 लाख की गणेश प्रतिमा, बाल स्वरूप का क्रेज इस बार भी बरकरार

गणेश प्रतिमा बाल स्वरूप का क्रेज इस बार भी बरकरार (Photo Patrika)

Ganesh Utsav 2025: गणेश चतुर्थी में अब केवल दो दिन बचे हैं। शहर के पंडालों में जोर-शोर से तैयारियां हो रही हैं। पिछले साल लाखे नगर में विराजित क्यूट बाल गणेश का लुक वायरल हुआ था, जिसके बाद इस बार भी वैसी मूर्तियों की मांग बढ़ी है। रायपुर से 24 किलोमीटर दूर औंधी गांव के मूर्तिकार गिरधर चक्रधारी बताते हैं कि उन्होंने इस साल 30 मूर्तियों के ऑर्डर पूरे किए।

वे कहते हैं, जब लोग मेरी बनाई मूर्तियां देखकर मुस्कुराते हैं, तो वही मेरी सबसे बड़ी सफलता है। लाखे नगर में इस बार सिंधु युवा एकता गणेशोत्सव समिति ने करीब 4 लाख रुपए की प्रतिमा बनवाई है। इसकी थीम शंकर-पार्वती है। गिरधर बताते हैं कि पिछले साल का काम तीन महीने में हुआ था, जबकि इस बार दो महीने में पूरा किया गया। इसके लिए 12 कारीगर और 7 रंगकर्मी जुटे। लाखे नगर चौक पर शंकर-पार्वती थीम पर विराजित होंगे बप्पा।

12वीं तक ही पढ़े

प्रकाश बताते हैं कि वे छोटी-छोटी मूर्तियां बनाते थे और बड़े भाई के साथ रहकर धीरे-धीरे इस हुनर में निखार लाए। पढ़ाई उन्होंने सिर्फ 12वीं तक की, लेकिन कला ने ही उन्हें पहचान दी। बालोद जिले से ताल्लुक रखने वाले प्रकाश की मूर्तियां आज दूर-दूर तक जाती हैं और उनके परिवार की आजीविका का सहारा बनी हैं।

परंपरागत कला को नया आयाम दे रहे मूर्तिकार प्रकाश वैष्णव बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें मूर्तियां बनाने का शौक था। छोटी-छोटी प्रतिमाओं से शुरुआत कर उन्होंने अपने बड़े भाई अशोक वैष्णव से यह कला सीखी। आज वे अपने हुनर के दम पर न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात तक अपनी मूर्तियों की पहचान बना चुके हैं। गुढ़ियारी में शिव महिमा थीम पर गणेश पंडाल बना रहे प्रकाश ने बताया, पंडाल और मूर्तियों के लिए स्थानीय के अलावा कोलकाता से भी कारीगर बुलाए गए हैं।

उनका मानना है कि भगवान की प्रतिमा को किसी प्रदर्शन की तरह न गढ़ा जाए, बल्कि उन्हें उनके असली स्वरूप में दिखाना चाहिए। यही वजह है कि वे नई-नई दिखावटी डिजाइनों से दूरी बनाते हैं। उनकी जीविका सालभर इसी कला से चलती है। मिट्टी की जगह अब वे फाइबर से प्रतिमाएं तैयार करते हैं, हालांकि यह महंगा पड़ता है लेकिन ज्यादा लंबे समय तक टिकता है।

प्रतिमा पूजा का विषय है, प्रदर्शन का नहीं

उनका मानना है कि भगवान के रूप में बनी प्रतिमा पूजा का विषय है, प्रदर्शन का नहीं। यही वजह है कि वे बाजार की चमक-दमक से अलग अपनी कला को परंपरा और आस्था से जोड़ते हैं। नई-नई डिजाइनों का विरोध करते हुए वे कहते हैं कि सच्ची मूर्तिकला वही है जो श्रद्धा से जोड़ी जाए। फाइबर से बनी मूर्तियों को वे टिकाऊ मानते हैं और भविष्य का रास्ता इसी में देखते हैं।

16 फीट तक की ऊंचाई

गिरधर चक्रधारी ने बताया, इस साल मूर्तियों की अधिकतम ऊंचाई 16 फीट है। थीम में लालबाग का राजा, माखन खाते गणेश, कृष्ण-राधा और राज सिंहासन भी शामिल हैं। गिरधर बताते हैं कि ऑर्डर नवंबर से मिलने शुरू हो जाते हैं और दिसंबर से निर्माण शुरू हो जाता है।

मूर्तियों में इनोवेशन और लाइटवेट

इस बार मूर्तियां हल्की बनाने के लिए मिट्टी और पैरा का इस्तेमाल किया गया है। इससे मूर्ति उठाने और विसर्जन में परेशानी नहीं होगी। गिरधर कहते हैं, हम डिजाइन तय नहीं करते। समितियां थीम तय करती हैं। वे विसर्जन के समय ही अगली थीम पर चर्चा कर लेते हैं।