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अब साक्षर लोग भी लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव, सरकार कर रही है अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता को खत्म

सरकार के नए फैसले के बाद अब पंच के पद के लिए 5 वीं कक्षा और बाकी पदों के लिए 8 वीं कक्षा में उत्तीर्ण होने की बाध्यता नहीं रहेगी।

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए अब पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को खत्म कर दिया है। अब बस उन्हें इतना इतना ज्ञान होना चाहिए कि वह आपने काम और लोगों की मदद ठीक से करने में समर्थ हो।

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छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, किसी भी इच्छुक उम्मीदवार का अब साक्षर होना अनिवार्य होगा। यानी कि उसे कम से कम पढ़ना और लिखना आता हो। शनिवार को कैबिनेट द्वारा संशोधनों को मंजूरी दे दी गई और अब इसे पारित होने के लिए विधानसभा के समक्ष रखा जाएगा।

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वर्तमान में, प्रतियोगियों को पंच पद के लिए 5 वीं कक्षा और बाकी पदों के लिए 8 वीं कक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है । वर्तमान कानून त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में विकलांगों के नामांकन के लिए भी उपलब्ध नहीं है। अब साक्षर होने का सिर्फ इतना अर्थ होगा की उम्मीदवार पढ़ना लिखना जानता हो। इसके लिए किसी भी तरह की शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होगी।

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इसके अलावा कैबिनेट ने राज्य में दो नए विश्वविद्यालय स्थापित करने का फैसला किया है, जिनमें से एक बागवानी और वानिकी के लिए, एक महात्मा गांधी के नाम पर और दूसरा रायगढ़ में दिवंगत कांग्रेस नेता नंद कुमार पटेल के नाम पर रखा जाएगा।

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