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Motivation : जब कोई अपमान करे तब कैसे बनाएं रखें आत्मविश्वास? प्रवीण ऋषि ने बताए उपाय , जानें आप भी

Motivational Hindi News: आपको किसी की बात चुभ जाती है। आप ऊपर से संयम रखते हैं। भीतर घाव होना स्वभाविक है।

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Motivation : जब कोई अपमान  करे  तब कैसे बनाएं रखें आत्मविश्वास?  प्रवीण ऋषि ने बताए उपाय , जानें आप भी

Motivation : जब कोई अपमान करे तब कैसे बनाएं रखें आत्मविश्वास? प्रवीण ऋषि ने बताए उपाय , जानें आप भी

रायपुर . आपको किसी की बात चुभ जाती है। आप ऊपर से संयम रखते हैं। भीतर घाव होना स्वभाविक है। क्षमा का मतलब है कि सामने वाले का तीर आपके मन में पहुंचा ही नहीं। यही क्षमा है। वह तीर अंदर आ गया तो आप दुखी होंगे। क्षमा उसे कहते हैं कि सामने वाला लाख चोट करे लेकिन आपको कोई असर न पड़े। टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में बुधवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने ये बातें कही।

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उन्होंने कहा, कर्म सीधे उदय में नहीं आते। कर्म के उदय में आने की प्रक्रिया है। अगर कोई सजग रहे तो कर्म में परिवर्तन का अवसर मिलता है। कर्म की प्रक्रिया जो चलनी है, वो अपनी आत्मा में चलनी है। व्यक्ति को पता चल जाता है कि मेरे अंदर क्या होने वाला है। सबसे पहले कर्मोदय का असर आएगा वह आपके प्राणों पर आएगा। प्राणों का स्पंदन महसूस हो जाए तो अगली प्रक्रिया संभालना आसान हो जाता है, लेकिन रिश्ते के मामले में ऐसा नहीं है।

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सामने वाला व्यक्ति कब क्या करेगा हम नहीं जान सकते। उसके मन में क्या चल रहा है, यह हम नहीं जान सकते। कोई व्यक्ति सजग रहे तो अपने मन में क्या होने वाला है जान सकता है, लेकिन दूसरा व्यक्ति क्या करेगा नहीं जान पाता है। लेकिन दूसरा व्यक्ति जो करेगा उस पर आपको प्रतिक्रिया देनी है कि प्रतिसाद, इसी से तय होता है कि आपका जीवन क्या बनेगा। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।

व्रत अनुष्ठान में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल

चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के अंतर्गत श्री रावतपुरा सरकार आश्रम में प्रतिदिन धार्मिक आयोजन संपन्न किए जा रहे हैं। सावन मास में रुद्राभिषेक के साथ ही भगवान श्रीगणेश का बुधवार को सहस्त्रार्चन अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

संत रविशंकर महाराज ने बताया, श्री सदगुरुदेव भगवान कहते हैं आजकल सच्चे और अच्छे इंसान का बोलबाला खत्म होता जा रहा है। झूठे लोगों का बोल बाला बढ़ता जा रहा है। इस पर विचार करना चाहिए। लोग असली और नकली लोगों की पहचान ही नहीं कर पा रहे हैं।

इस संसार में बहुत कम ऐसे लोग मिलेंगे जो बाहर से और भीतर से एक से हैं। परंतु बनावटी व्यक्ति या छल-कपट करने वाला व्यक्ति ज्यादा दिनों तक नहीं छिप सकता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है- जो व्यक्ति दिखवे की वस्तुओं में विश्वास कर लेता है एक ना एक दिन वह धोखा का पात्र बनता है। कहने का आशय - पहले आप खुद बदलें, फिर दूसरों को बदलें, नकली लोगों से दूर रहें। अच्छे इंसान को परखें, उसका साथ करें। कल्याण होगा।

आप मंदिर जाते हैं क्यों? यह आपको भी नहीं पता: साध्वी शुभंकरा

एमजी रोड के जैन दादाबाड़ी में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में बुधवार को साध्वी शुभंकरा ने कहा कि आप मंदिर जाते हैं। कभी आपने अपने आप से यह पूछा है कि मैं मंदिर क्यों जा रहा हूं? आप जब डॉक्टर के पास जाते हैं तो आपको ये पता होता है कि आपको क्या परेशानी है? डॉक्टर उसका समाधान करते हैं।

आप डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब आपको कोई परेशानी होती है। लेकिन, मंदिर आप नियमित जाते हैं। फिर भी आपको नहीं पता कि आप क्यों जा रहे हैं। घर वालों ने बोल दिया कि रोज मंदिर जाना है। मंदिर जाने का रूटीन बनाकर बस जा रहे हैं और भगवान के दर्शन करके आ रहे हैं।

न आपको पूजन विधि पता है। न मंदिर का महत्व। परमात्मा की भक्ति आपको आत्मा का भान कराती है। आप मंदिर जाते हैं और जैसे ही भगवान को देखते हैं तो आपका मन कितना भी अशांत हो, प्रसन्नचित हो जाता है। परमात्मा की पूजा पाप-ताप और संताप दूर कर देती है। ताला दिखने में कितना भी कठोर हो, भारी हो पर अपनी चाबी से वह आसानी से खुल जाता है।