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छत्तीसगढ़ में बड़ा कानूनी बदलाव! सरकार पेश करेगी कठोर मतांतरण विरोधी बिल, 10 साल तक की सजा

Major legal change in Chhattisgarh: राज्य सरकार आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र (14 से 17 दिसंबर) में एक सख्त मतांतरण विरोधी विधेयक पेश करने की तैयारी में है

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छत्तीसगढ़ में बड़ा कानूनी बदलाव! सरकार पेश करेगी कठोर मतांतरण विरोधी बिल, 10 साल तक की सजा(photo-patrika)

छत्तीसगढ़ में बड़ा कानूनी बदलाव! सरकार पेश करेगी कठोर मतांतरण विरोधी बिल, 10 साल तक की सजा(photo-patrika)

Major legal change in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में जबरन और प्रलोभन आधारित मतांतरण की बढ़ती शिकायतों के बीच विष्णु देव साय सरकार अब कड़े कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र (14 से 17 दिसंबर) में एक सख्त मतांतरण विरोधी विधेयक पेश करने की तैयारी में है। यह कानून मौजूदा छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम-1968 को पूरी तरह से प्रतिस्थापित करेगा।

Major legal change in Chhattisgarh: अन्य राज्यों के कानूनों के आधार पर तैयार हुआ प्रारूप

नए कानून का मसौदा बनाने से पहले सरकार ने ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित नौ राज्यों के धर्म स्वतंत्रता अधिनियमों का विस्तृत अध्ययन किया है। करीब पांच पन्नों के प्रस्तावित बिल में कुल 17 प्रमुख प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनमें सख्त दंड और प्रक्रिया का प्रावधान है।

जबरन मतांतरण पर 10 साल तक की सजा

प्रस्तावित विधेयक में जबरन, प्रलोभन, धोखाधड़ी या किसी भी तरह के दबाव के माध्यम से होने वाले मतांतरण को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। नए मसौदे के अनुसार ऐसे मामलों में अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान होगा। कानून के तहत बिना सूचना के धर्म परिवर्तन कराने पर भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, किसी भी मतांतरण से 60 दिन पहले जिला प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य होगा।

विधेयक में ‘प्रलोभन’, ‘दबाव’ और ‘जबरन मतांतरण’ की परिभाषाओं को पहले से अधिक स्पष्ट और विस्तृत किया गया है। इसके विपरीत, मौजूदा छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 में ऐसे मामलों में केवल 1 वर्ष की कैद और 5,000 रुपये जुर्माने का ही प्रावधान था, जिसे कमजोर माना जाता रहा है।

आदिवासी क्षेत्रों के विवादों ने बढ़ाई सख्त कानून की जरूरत

राज्य के बस्तर, जशपुर और रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में प्रलोभन देकर किए जा रहे कथित धर्मांतरण को लेकर लंबे समय से तनाव बना हुआ है। कई स्थानों पर यह विवाद सामाजिक टकराव और गुटीय संघर्ष के रूप में सामने आया है, जिससे कानून-व्यवस्था पर भी असर पड़ा है। इसी पृष्ठभूमि में, सरकार का मानना है कि एक अधिक कठोर और स्पष्ट कानून राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक शांति बनाए रखने में सहायक होगा।