
छत्तीसगढ़ : दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले- शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है
बिलासपुर. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में नैतिक मूल्यों का समावेश आवश्यक है। नैतिक मूल्यों के बिना प्राप्ता शिक्षा समाज के लिए कल्याकणकारी नहीं हो सकती है।
कोविंद ने बिलासपुर में गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वाविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का प्रमुख उद्देश्ये केवल डिग्री प्राप्ति करना ही नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनना भी है। अच्छा इंसान यदि डॉक्टर बनेगा तो अच्छा डॉक्टर बनेगा, यदि इंजीनियर बनेगा तो अच्छा इंजीनियर बनेगा। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अच्छा इंसान सामाजिक जीवन में भी अपना श्रेष्ठ देता है।
युवा शक्ति ने दिलाई भारत को उद्यमी राष्ट्र की पहचान
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों का यह कर्तव्य है कि वह विद्यार्थियों में ईमानदारी, अनुशासन, सहिष्णुगता, कानून के प्रति सम्मान और समय-पालन जैसे जीवन मूल्यों का संचार करे। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत की पहचान, एक आधुनिक व उद्यमी राष्ट्र के रूप में हो रही है। युवाओं की ऊर्जा के बल पर ही, हम आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप, इको-सिस्टसम तैयार कर सके हैं और आधुनिक प्रौद्योगिकी से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान तक के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल करने में सफल हुए हैं।
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बेटियों की उत्कृष्ट प्रदर्शन पर गर्व
राष्ट्रपति ने विभिन्न परीक्षाओं में सफल होने वाले विद्यार्थियों को तथा पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा,'मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में बेटियों की संख्या अधिक है। बेटियों की उपलब्धियों को देखकर भरोसा होता है कि अवसर मिलने पर बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती है। यह सुनहरे भारत की तस्वीर है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा,'आपको जो सफलता मिली है उसमें आपके माता-पिता और शिक्षकों की बहुत बड़ी भूमिका है।
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गुरू घासीदास के आदर्शों का अनुसरण पर जोर
गुरू घासीदास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गुरू जी ने मनखे-मनखे एक समान के आदर्श पर चलकर समाज में मेलजोल, समरसता से रहने और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया है। गुरू घासीदास जी कहते थे कि सत्य की सेवा ही मनुष्य की करूणा, चैतन्य, प्रेम, संयम तथा चरित्र का प्रतीक होता है। इसीलिए लोगों को सद्चरित्र निर्माण के लिए सतनाम का अनुसरण करना ही चाहिए और सभी धर्मों की अच्छी बातों-आदर्शों का अनुसरण करना चाहिए।
शिक्षा में नैतिक मूल्यों का समावेश आवश्यक
राष्ट्रपति ने कहा,'मुझे विश्वास है कि नक्सलवादी हिंसा से प्रभावित परिवारों को शिक्षा की रोशनी के सहारे आगे बढऩे का अवसर प्राप्त हो रहा है और उससे हिंसा और आतंक के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कुलाधिपति प्रोफेसर अशोक मोडक भी मौजूद थे। इस दौरान राष्ट्रपति ने नौ उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए। दीक्षांत समारोह में 74 छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए तथा 75 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई। उन्होंने 74 गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों में 44 छात्राओं के शामिल होने पर खुशी जाहिर की। उपस्थित विद्यार्थियों की हौसला अफजाई करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक छात्रा ने दो पदक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के साथ-साथ पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के पालक भी गौरवान्वित होते हैं। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के 9 टॉपर विद्यार्थियों को 10 गोल्ड मेडल प्रदान किये। राष्ट्रपति ने बीएससी ऑनर्स गणित संकाय की टॉपर कुमारी क्वीनी यादव के गुरू घासीदास स्वर्ण पदक एवं विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक से सम्मानित किये जाने पर भी छात्रा को बधाई दी.
Published on:
02 Mar 2020 07:30 pm
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