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CGMSC Scam: सीजीएमएससी के एमडी के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं, 660 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला

CGMSC Scam: डायरेक्टर व सीजीएमएससी के एमडी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल हैल्थ डायरेक्टर स्वास्थ्य विभाग के मुखिया हैं।

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CGMSC Scam: @पीलूराम साहू 660 करोड़ रुपए के रीएजेंट व मेडिकल उपकरण खरीदी घोटाले में तत्कालीन हैल्थ डायरेक्टर व सीजीएमएससी के एमडी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल हैल्थ डायरेक्टर स्वास्थ्य विभाग के मुखिया हैं। उन्होंने गैरजरूरी रीएजेंट की डिमांड भेजने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। वैसे ही सीजीएमएससी के एमडी बिना वेरिफाई कैसे मोक्षित कॉर्पोरेशन को खरीदी के आर्डर दे दिए? विशेषज्ञों के अनुसार दोनाें ही अधिकारी खरीदी मामले में प्रथम दृष्टया लापरवाही बरती या जानबूझ कर खरीदी के आर्डर दिए। ऐसे में दोनों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं होने पर इस बात का हल्ला है कि कहीं आईएएस होने से तो उन्हें नहीं बचाया जा रहा है।

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तत्कालीन हैल्थ डायरेक्टर भीम सिंह व सीजीएमएससी के एमडी चंद्रकांत वर्मा से ईओडब्ल्यू पूछताछ कर चुकी है। दरअसल इन दोनों अधिकारियों की भूमिका इसलिए संदिग्ध है, क्योंकि हैल्थ डायरेक्टर की अनुमति के बिना सीजीएमएससी एक रुपए की दवा या मेडिकल उपकरण नहीं खरीद सकता। हैल्थ डायरेक्टर जिलों से आई मांग को एक्जाई कर सीजीएमएससी भेजता है। इसके बाद फंड का ट्रांसफर भी करता है। ऐसे में हैल्थ डायरेक्टर की भूमिका संदेह के घेरे में है। ऐसे ही बिना एमडी के आदेश के सीजीएमएससी कोई खरीदी नहीं कर सकती।

एमडी के आदेश के बाद ही रीएजेंट की पूरी खरीदी मोक्षित कॉर्पोरेशन से खरीदी गई। बताया जाता है कि इसके एवज में डीएचएस व सीजीएमएससी के अधिकारियों को ऐसा साधा गया कि जरूरत न होते हुए भी रीएजेंट व मेडिकल उपकरण खरीद लिए गए। रीएजेंट पीएचसी तक में डंप कर दिया गया, जहां ब्लड जांचने की कोई मशीन ही नहीं है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि अस्पताल स्टाफ ने मना भी किया, लेकिन रीएजेंट डंप करते रहे। आज की तारीख में करोड़ों का रीएजेंट खराब हो चुका है। यही नहीं 700 से ज्यादा ब्लड जांचने वाली मशीन बंद भी है। इनमें कई मशीनें डिब्बा बंद होने के कारण खराब भी हो चुकी है।

जांच के बीच फर्म को करोड़ों का भुगतान

चूंकि घोटाले का पूरा मामला पिछली यानी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान का है, लेकिन मोक्षित कॉर्पोरेशन को नई सरकार ने भुगतान कर दिया। स्वास्थ्य महकमे में चर्चा है कि पेंडेंसी भुगतान में भी करोड़ों की कमीशनखोरी की गई इसलिए भुगतान किया गया। कहीं ईओडब्ल्यू भुगतान करने वाले को बचाने के फिराक में तो नहीं है। ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि अब तक उनसे पूछताछ नहीं की गई है। हालांकि विपक्षी पार्टी उन्हें बर्खास्त करने व सीबीआई जांच की मांग कर रही है। इसमें दवा कॉर्पोरेशन से जुड़े अधिकारियों पर भी भुगतान को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उनके खिलाफ कब कार्रवाई होगी, सभी को इंतजार है।

इनके खिलाफ कार्रवाई

  • मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा।
  • बसंत कुमार कौशिक जीएम उपकरण एवं डिप्टी मैनेजर क्रय।
  • डॉ. अनिल परसाई, स्टोर प्रभारी व डिप्टी डायरेक्टर डीएचएस।
  • छिरोद रौतिया, बायो मेडिकल इंजीनियर।
  • कमलकांत पाटनवार, डिप्टी मैनेजर उपकरण।
  • दीपक कुमार बंधे, बायो मेडिकल इंजीनियर।

शशांक की न्यायिक रिमांड 7 तक बढ़ी

सीजीएमएसी घोटाले में जेल भेजे गए मोक्षित कार्पोरेशन दुर्ग के संचालक शशांक चोपडा़ की न्यायिक रिमांड को 7 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। ईओडब्ल्यू के विशेष न्यायाधीश के स्थानांतरण होने पर ईडी के विशेष न्यायाधीश की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने बताया कि इस समय प्रकरण की जांच चल रही है।

इस घोटाले के संबंध में पूछताछ करने के लिए सीजीएमएससी के तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक बंसत कुमार कौशिक, बायो मेडिकल इंजीनियर छिरोद रौतिया, उपप्रबंधक कमलकांत पाटनवार, डॉ. अनिल परसाई, मेडिकल इंजीनियर दीपक कुमार बंधे को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही उक्त सभी को 28 मार्च के लिए पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया है।