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Raipur News: रायपुर का आंबेडकर अस्पताल बना ‘बंदियों’ का आरामगाह, डॉक्टरों की मिलीभगत से 65 दिनों तक रहे भर्ती

Raipur News: डॉक्टरों की मिलीभगत से 65 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। डॉक्टरों पर आरोप है कि इन्होंने पैसे लेकर इन आरोपियों को भर्ती कर इलाज किया।

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Raipur News: रायपुर का आंबेडकर अस्पताल बना ‘बंदियों’ का आरामगाह, डॉक्टरों की मिलीभगत से 65 दिनों तक रहे भर्ती

आंबेडकर अस्पताल (Photo Patrika)

Raipur News: आंबेडकर अस्पताल में सीजीएमएससी में रीएजेंट घोटाले के मुख्य आरोपी, रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर व उदयपुर राजस्थान में एक विवि के रजिस्ट्रार चांदी काटते रहे। ये तीनों डॉक्टरों की मिलीभगत से 65 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। डॉक्टरों पर आरोप है कि इन्होंने पैसे लेकर इन आरोपियों को भर्ती कर इलाज किया। इस पर सीबीआई ने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को नोटिस थमा दिया है।
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नोटिस में पूछा है कि गंभीर मामलों के आरोपियों को किन-किन बीमारियों के आधार पर भर्ती किया। उन्होंने तीनों आरोपियों (बंदियों) की बीमारियों का विस्तृत ब्यौरा मांगा है। सीबीआई के नोटिस के बाद कॉलेज प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए हाईपावर कमेटी बना दी है। कमेटी से तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है।

सीजीएमएससी में रीएजेंट सप्लाई करने वाले व इस घोटाले के मुख्य आरोपी मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा दुर्ग, रावतपुरा सरकार निजी मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर अतुल तिवारी रायपुर व गीतांजलि यूनिवर्सिटी उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल सेंट्रल जेल में बंद थे। सीबीआई ने जुलाई में रावतपुरा कॉलेज प्रबंधन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व देश के अन्य कॉलेजों से जुड़े 35 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी।

जेल में बंद तीनों आरोपी आंबेडकर अस्पताल के साइकेट्री, मेडिसिन व चेस्ट विभाग में कुल 65 दिन भर्ती रहे। हालांकि अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि इनमें शशांक चोपड़ा केवल 5 दिन अस्पताल में भर्ती रहे। गौर करने वाली बात ये है कि 30 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने रावतपुरा कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए रिश्वत मामले में कॉलेज के 5 आरोपियों को जमानत दे दी थी। इनमें अतुल तिवारी व मयूर रावल भी शामिल हैं। जमानत के पहले ये आरोपी सेंट्रल जेल में बंद थे।

मनोरोग व अन्य समस्या के लिए किया गया भर्ती

तीनों आरोपियों को कथित रूप से साइको इलनेस, निमोनिया व अन्य समस्या के लिए तीनों विभाग में भर्ती कर इलाज किया गया। हालांकि जानकारों के अनुसार आरोपियों को खास बीमारी नहीं थी। पैसे लेकर डॉक्टरों ने भर्ती किया। इसमें मेडिसिन विभाग का एक डॉक्टर लंबे समय से ऐसे इलाज के लिए कुख्यात है।

बताया जाता है कि उन्हीं की ओपीडी व भर्ती के दिन ऐसे मरीज भर्ती होने के लिए आते हैं। ये डॉक्टर आंबेडकर में कम अपने निजी अस्पताल में ज्यादा देखे जाते हैं। 200-200 रुपए लेकर वार्ड ब्वाय व आया के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट देने का भी आरोप है। इसके कारण अस्पताल में कई बार वार्ड ब्वाय व आया की कमी हो जाती है।

7 लाख देने का हल्ला, आरोपी की पत्नी ने किया हंगामा

आरोपी मयूर रावल की पत्नी ने हाल ही में साइकेट्री विभाग की ओपीडी में जमकर हंगामा किया था। उन्होंने अपने पति के इलाज के लिए डॉक्टरों को 7 लाख रुपए देने का आरोप लगाया था। मामले को प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है। दरअसल आरोपी की पत्नी किसी काम से ओपीडी पहुंची थी। कुछ बातों पर नाराज होते हुए उन्होंने इलाज के लिए कथित रूप से पैसे देने का आरोप लगाया।

यह मामला ओपीडी से होते हुए कॉलेज प्रबंधन तक पहुंचा। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि तीनों आरोपी आए दिन भर्ती हो रहे हैं, इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को भी नहीं थी। यानी विभागों ने इसकी सूचना अस्पताल अधीक्षक कार्यालय को भी नहीं दी।

प्रिजनर को भर्ती कर इलाज करने के मामले में नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने हाई पावर कमेटी बनाई है। मामले की जांच हुई या चल रही है, कॉलेज प्रबंधन को पता होगा।

डॉ. संतोष सोनकर, अधीक्षक आंबेडकर अस्पताल