
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी का बड़ा बयान कहा - हिन्दू राष्ट्र से नहीं....रामराज से होगा भारत का कल्याण
Raipur Breaking News : भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने पर दो शंकराचार्य आमने-सामने हो गए हैं। पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने रविवार को रायपुर में जहां भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही। वहीं, जोशी मठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछ डाला कि देश को इससे क्या फायदा होगा? (CG Breaking News) संकल्प लेना ही है तो रामराज्य का लीजिए। इससे अंतिम छोर के व्यक्ति का कल्याण होगा। बता दें कि पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने 3 साल में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है।
इसके लिए देशभर में राष्ट्रोत्कर्ष अभियान चलाते उन्हें 2 साल से भी अधिक समय हो चुका है। इसी कड़ी में रविवार को वे रायपुर पहुंचे थे। (Raipur News Update) इधर, बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम में 64 योगिनियों की प्रतिष्ठा कराने उत्तराखंड स्थित जोशी मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरारनंद भी रायपुर पहुंचे थे। (Raipur News Today) मीडिया से बातचीत में हिंदू राष्ट्र के मुद्दे को लेकर दोनों शंकराचार्यों के विचार एक-दूसरे से भिन्न नजर आए।
ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने हिंदू राष्ट्र का एजेंडा ठीक
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हिंदू राष्ट्र से किसी का कल्याण नहीं होगा। ये एजेंडा ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए ठीक हो सकता है। समाज की भलाई के लिए हमें रामराज्य की जरूरत है। आज देश में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से लोगों का मोहभंग होता नजर आ रहा है। हिंदू राष्ट्र का मतलब है हिंदुओं की गोलबंदी। यानी गैर हिंदुओं के साथ गैर समानता का व्यवहार करना। रामराज्य में कोई पराया नहीं होता। प्रभु श्रीराम के राज में तो राजा के लिए सारी प्रजा ही खुद के बच्चे समान होती है।
हिंदू राष्ट्र से समाज बनेगा सुसंस्कृत, कर्तव्य परायण
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, भारत के हिंदू राष्ट्र बनने से सुसभ्य, सुसंस्कृत और कर्तव्य परायण समाज की स्थापना होगी। (Raipur News in Hindi) उन्होंने कहा, हिंदू धर्म में सभी जाति की आजीविका जन्म से सुनिश्चित होती है। आज देश में जातियां बटी हुई हैं। ये अंग्रेजों की नीति है। फूट डालो और राज करो। हमारे राजनेता तुष्टिकरण की राजनीति में लगे हैं। यही देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। पूरी दुनिया में हिंदू के अलावा कोई धर्म नहीं था। सभी के पूर्वज हिंदू हैं। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए पहले हिंदू राष्ट्र बनाना होगा।
अविमुक्तेश्वरानंद, सदानंद के शंकराचार्य होने को नकारा
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद और स्वामी सदानंद सरस्वती के शंकराचार्य होने को ही नकार दिया। (CG Breaking News) उन्होंने कहा कि इनसे पहले स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शंकराचार्य थे। वे 99 वर्ष तक जीवित रहे। उन्हें किसी को शंकराचार्य बनाना ही होता तो अपने जीते-जी इसकी घोषणा कर सकते थे। मतलब साफ है कि उन्हें कोई इस लायक नजर नहीं आया। शंकराचार्य होने का मतलब है शिव होना। वही व्यक्ति शंकराचार्य हो सकता है कि जिसकी वाणी को दुनिया की कोई चीज प्रभावित न कर सके। (CG Raipur News) ये तो स्वयंभू शंकराचार्य हैं। मैं इन्हें नहीं मानता।
Published on:
29 May 2023 01:49 pm
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