scriptसुबह देर तक सोने वालों में होती है आत्म-अनुशासन की कमी | There is a lack of self-discipline in those who sleep till late in the | Patrika News

सुबह देर तक सोने वालों में होती है आत्म-अनुशासन की कमी

locationरायपुरPublished: Jun 23, 2021 08:32:06 pm

Submitted by:

lalit sahu

जल्दी जागने से मिलते हैं ये फायदे

सुबह देर तक सोने वालों में होती है आत्म-अनुशासन की कमी

सुबह देर तक सोने वालों में होती है आत्म-अनुशासन की कमी

रात को जागने वालों में उत्साह होता है, लेकिन सुबह जल्दी उठने वालों में आत्म-अनुशासन अधिक होता है, हाल ही में हुए एक अध्ययन से इस बात का पता चला है। सुबह जल्दी जागने के अनगिनत फायदे हैं। इससे दिनचर्या अच्छी रहती है और सेहत भी दुरुस्त रहती है। एक हालिया अध्ययन की मानें तो सुबह जल्दी उठने वालों में आत्म-अनुशासन की आदत भी होती है। इसके विपरीत रात को देर तक जागने वाले और सुबह देर से उठने वाले लोगों में अनुशासन का अभाव देखा जाता है। हालांकि ऐसे लोगों में उत्साह की अधिकता रहती है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान लोगों के कालक्रम की जांच की, यह दरअसल एक निश्चित समय पर सोने की प्रवृत्ति है, जो व्यक्तित्व के अन्य लक्षणों को भी प्रभावित करती है। अध्ययन से जुड़े एवं वारविक विश्वविद्यालय और एस्टोनिया के टार्टू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि आप किस समय उठते हैं और सोते हैं यह आंशिक रूप से आनुवंशिक कारकों के कारण होता है। इसके बावजूद यदि आप सुबह जल्दी उठने वाले व्यक्ति बनना चाहते हैं, लेकिन वर्तमान में देर तक सोते हैं या इसके विपरीत है तो नींद के पैटर्न को बदलने की गुंजाइश भी रहती है।

नींद के पैटर्न में बदलाव संभव
वारविक विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के अध्ययन प्रोफेसर अनु रियलो ने कहा कि अध्ययन में हमने न केवल यह दिखाया कि कालक्रम, व्यक्तित्व और आंशिक रूप से आपके जीन के बीच एक संबंध है, बल्कि हमारे निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि आपके कालक्रम को बदलना संभव हो सकता है या कम से कम एक अलग सामाजिक रूप से आत्म नियंत्रण से सुविधाजनक नींद पैटर्न में तो खुद को प्रशिक्षित किया ही जा सकता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ‘मॉर्निंग लार्क’ कहे जाने वाले सुबह जल्दी उठने वाले व्यक्ति का एक विशिष्ट उदाहरण हो सकता है। ऐसा माना जाता है इस तरह का व्यक्ति सुबह 6 बजे स्वाभाविक रूप से उठता है, जॉगिंग के लिए जाता है, समय पर नहाकर नाश्ता करता है और सुबह नौ बजे तक काम करने के लिए तैयार हो जाता है, वह एक उत्पादक दिन के लिए तैयार होता है। वहीं ईवनिंग व्यक्ति को सुबह जल्दी उठने में दिक्कत होती है। वह सुबह के बजाय शाम को अधिक उत्पादक महसूस करता है। वह देर रात तक जागता है। शोधकर्ताओं की टीम के मुताबिक बेशक यह एक अतिरंजित उदाहरण है, लेकिन इस सामान्यीकरण के पीछे एक सच्चाई है।

दो हजार से अधिक प्रतिभागियों पर अध्ययन
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2,515 एस्टोनियाई वयस्कों के डेटा का उपयोग किया, जिनमें से 59 प्रतिशत महिलाएं थीं, सभी की औसत आयु 45 वर्ष थी। शोधकर्ताओं ने उन्हें पांच बड़े व्यक्तित्व लक्षणों सहित उनकी नींद के समय और व्यक्तित्व कारकों के बारे में किए गए सवालों के जवाब देने के लिए कहा। ‘बिग फाइव’ कहे गए यह पांच व्यक्ति लक्षण- खुलापन, कर्तव्यनिष्ठा, बहिर्मुखता, सहमतता और विक्षिप्तता हैं।

यह अकादमिक मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का सबसे स्वीकृत और सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मॉडल है। प्रतिभागियों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा भी किया गया जो प्रतिभागी को अच्छी तरह से जानता हो। अध्ययनों के सारांश आंकड़ों के जरिए आनुवंशिक सहसंबंध प्राप्त किए गए थे। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि सुबह जल्दी उठने वालों यानी जल्दी के कालक्रम वाले लोगों में उच्च कर्तव्यनिष्ठा और कम उत्साह देखा गया। इस बीच देर से सोने और जागने वाले लोगों में उत्साह अधिक देखा गया और इनमें अधिक स्पष्ट व सरल व्यक्तित्व वाला होने की संभावना होती है।

सुबह एक घंटा जल्दी उठने से तनाव के जोखिम में 23 प्रतिशत कमी
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के शोधकर्ताओं ने करीब 840,000 वयस्कों के आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत व अवसाद संबंधी डिसऑर्डर में कमी के बीच एक संबंध पाया। यह संभव है कि दिन के प्रकाश के अधिक संपर्क के परिणामस्वरूप हार्मोनल प्रभावित होते हैं, जो मूड को प्रभावित कर सकता है।

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