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तीन CM, 12 डायरेक्टर बदले, फिर भी… छत्तीसगढ़ गजेटियर अब भी अधूरी, संस्कृति विभाग की बेरुखी उजागर

CG News: रायपुर राज्य के किसी भी जिले का गजेटियर अब तक नहीं बन पाने से संस्कृति एवं राजभाषा विभाग की उदासीनता साफ समझ में आ रही है।

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तीन CM, 12 डायरेक्टर बदले, फिर भी... छत्तीसगढ़ गजेटियर अब भी अधूरी(photo-patrika)

तीन CM, 12 डायरेक्टर बदले, फिर भी... छत्तीसगढ़ गजेटियर अब भी अधूरी(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर राज्य के किसी भी जिले का गजेटियर अब तक नहीं बन पाने से संस्कृति एवं राजभाषा विभाग की उदासीनता साफ समझ में आ रही है। मध्यप्रदेश का 1992 में बना गजेटियर अब भी छत्तीसगढ़ में इस्तेमाल किया जा रहा है।

CG News: छत्तीसगढ़ गजेटियर अब भी अधूरी

नया राज्य बनने के बाद किसी भी जिम्मेदार अधिकारी व नेता ने अब तक पहल नहीं की है। प्रदेश में 3 मुख्यमंत्री (दिवंगत अजीत जोगी, डॉ. रमन सिंह और भूपेश बघेल) और संस्कृति विभाग के 12 से ज्यादा डायरेक्टर बदल चुके है, लेकिन मामला जस का तस पड़ा हुआ है। जानकारी के अनुसार, पत्रिका में खबर छपने के बाद विभाग में खलबली मची।

विभाग ने गजेटियर बनाने की पहल तो की, लेकिन मैनपॉवर और भारी खर्च के चलते फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इस मामले में जानकारी लेने के लिए पत्रिका ने संस्कृति विभाग के डायरेक्टर विवेक आचार्य से फोन पर सम्पर्क साधने की कोशिश की, पर उन्होंने कॉल अटेंन नहीं किया।

बजट देखने के बाद रुकी प्रक्रिया

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संस्कृति विभाग के डायरेक्टर ने गजेटियर बनाने के लिए लगने वाले खर्च, उसकी रुपरेखा, कार्य विभाजन, व्यक्तियों का दायित्व समेत अन्य ब्योरा बनाने के लिए विभाग के व्यक्ति को कार्य सौंपा, लेकिन रूपरेखा तैयार होने में लगने वाले मैनपॉवर और खर्च को देखकर होश उड़ गए।

जानकारी के अनुसार इतने साल से गजेटियर नहीं बनने के कारण अब इसमें लगने वाला बजट बढ़ गया है। 20 करोड़ से अधिक का खर्च बताया गया है, इसके बाद यह प्रक्रिया थम गई, जबकि इस साल इसके लिए 92 लाख 42 हजार रुपए आए हुए हैं।

जिले की प्रत्येक जानकारी में होता है सहायक

गजेटियर प्रशासनिक ब्यौरा होता है, इसमें जिले के सभी विभाग का डाटा का एक प्रोफाइल (लेखा-जोखा) होता है। इसमें सांख्यिकी विवरण, इतिहास, विशेषता, नहर-नाली, पंचायत, व्यापार और प्रशासन से जुड़ी प्रत्येक जानकारी होती है। जो कि प्रदेश सरकार, कलेक्टर और अधिकारी किसी भी योजना के लिए पॉलिसी बनाने में सहायक है।

एक दर्जन लोगों की टीम लगेगी बनाने में

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गजेटियर बनाने के लिए करीब एक दर्जन लोगों की टीम होती है लगेगी। जिसमें रिटायर्ड अधिकारी-कर्मचारी, कुलपति, प्रोफेसर, इतिहासकार, रिसर्चर समेत अलग-अलग लोग शामिल होते हैं। हर जिले का किसी व्यक्ति को जिम्मा दिया जाएगा, डाटा एंट्री करने के लिए अलग से ऑपरेटर, समेत अन्य चीजों का आवश्यकता होगी। इनके आने जाने मानदेय लेगगा। साथ ही हर जिले से मिले डाटा को क्रॉस चेक करके गजेटियर का निर्माण किया जाएगा।