
Tirupati Laddu Controversy: तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी व मछली तेल के अंश मिलने के बाद प्रदेश में भी मंदिरों में घी सप्लाई को लेकर शासन अलर्ट मोड पर आ गया है। पशुधन विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर सरकारी कंपनी देवभोग की घी शक्तिपीठों व देवी मंदिरों के लिए सप्लाई करने प्रोत्साहित करने को कहा है।
दीप प्रज्जवलन व प्रसाद बनाने के लिए घी का उपयोग होता है। शासन ने देवभोग की घी को एफएसएसएआई के मापदंडों के अनुरूप भी बताया है। 3 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। इसे लेकर शासन ने सभी कलेक्टरों को देवभोग की घी को प्रोत्साहित कर किसानों के उत्पाद को बढ़ावा देने कहा है।
राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में शारदीय नवरात्रि की धूम रहती है। ऐसे में अगर सरकारी कंपनी की घी उपयोग में लाने पर किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा। पत्र में कहा गया है कि 700 दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से 30 हजार पशु पालक रोजाना सुबह व शाम देवभोग को दूध प्रदान करते हैं। इसके लिए गांवों में दूध एकत्रित किया जाता है।
Tirupati Laddu Controversy: सरकारी कंपनी में एफएसएसएआई के मानकों के अनुरूप विटामिन ए व डी फोर्टिफाइड दूध व इससे बने उत्पाद बेचे जा रहे हैं। विभाग का दावा है कि दूध व इससे बने उत्पाद में अब तक कोई खास शिकायत नहीं आई है। ऐसे में मंदिर समितियों को घी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। देवभोग कंपनी की 16 किग्रा टीन वाली घी की कीमत 9030 रुपए है। इसमें 18 फीसदी जीएसटी भी देना होगा।
हालांकि निजी कंपनियों की घी की कीमत इससे ज्यादा है। इसलिए कुछ शक्तिपीठ व देवी मंदिर समिति देवभोग घी का उपयोग करती रही है। महंगाई के साथ ही घी की कीमत में उतार-चढ़ाव आते रहता है। इससे मंदिरों में ज्योति स्थापना की राशि भी बढ़ जाती है।
सभी देवी मंदिर ज्योति स्थापना के लिए श्रद्धालुओं से तय राशि लेती है। इसमें देश ही नहीं विदेश के श्रद्धालु भी होते हैं। राजधानी के महामाया व बंजारी मंदिर में विदेशी श्रद्धालुओं के नाम देखे जा सकते हैं।
Published on:
25 Sept 2024 11:02 am
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