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Rakshabandhan 2025: छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने गोबर से बनाई राखी, दिल्ली-कोलकाता से मिला आर्डर, जानें कितनी है कीमत

Rakshabandhan 2025:गोबर की राखियों की डिमांड देश के कई हिस्सों से आने लगी है. दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों से राखियों के ऑर्डर मिल रहे हैं। इनकी कीमत भी काफी कम हैं।

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Rakshabandhan 2025: छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने गोबर से बनाई राखी, दिल्ली-कोलकाता से मिला आर्डर, जानें कितनी है कीमत

Rakshabandhan 2025: गोबर से राखियाँ बनाना एक पर्यावरण-अनुकूल और पारंपरिक तरीका है जो गाँवों और ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय हो रहा है। यह तरीका न सिर्फ रक्षाबंधन के त्योहार को प्रकृति के करीब लाता है। बल्कि गाय के गोबर का रचनात्मक और उपयोगी उपयोग भी करता है। इस बार भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में महिलाओं ने गोबर से राखी बनाई है। गोकुल नगर स्थित गौठान में महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य इस पर्व को पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति से जोड़कर खास अंदाज में मना रही हैं।

दिल्ली और कोलकाता से भी ऑर्डर

नीलम अग्रवाल बताती हैं कि गोबर से राखी बनाने का काम पिछले 5-6 वर्षों से किया जा रहा है। शुरुआत में इसकी मांग सीमित थी लेकिन धीरे-धीरे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी और गोबर की राखियों की डिमांड देश के कई हिस्सों से आने लगी है। दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों से राखियों के ऑर्डर मिल रहे हैं। इनकी कीमत भी काफी कम हैं। ये राखियां 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक में उपलब्ध हैं।

समूह की अध्यक्ष ने कहा

समूह की अध्यक्ष नीलम अग्रवाल ने कहा गोकुल नगर के गौठान में 13 महिलाएं मिलकर गोबर से दीये, मूर्तियां और अन्य 32 प्रकार की सामग्रियां तैयार कर रही हैं। रक्षाबंधन को ध्यान में रखते हुए इन दिनों गोबर की राखियां बनाने का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। ये राखियां पूरी तरह से गोबर से बनी होती हैं। जिनमें ग्वार गम मिलाकर सांचे की सहायता से आकर्षक डिजाइन दिए जाते हैं। इसके बाद धूप और छांव में 3-4 दिनों तक सुखाकर इन्हें सजाया जाता है। राखियों में 8 से 10 रंगों का उपयोग कर 10-12 अलग-अलग डिजाइन तैयार किए जा रहे हैं।

महिलाओं को मिलेगा रोजगार

गोकुल नगर गौठान में महिलाओं की यह पहल स्वावलंबन और सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी हैनीलम अग्रवाल कहती हैं कि आने वाले समय में वह इस कार्य को और बड़े स्तर पर विस्तारित करने की योजना बना रही हैं, जिससे और ज्यादा महिलाओं को रोजगार का साधन मिल सके। साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान दिया जा सके। इस तरह एक साधारण सी दिखने वाली राखी अब पर्यावरण सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और सनातन संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है। रायपुर की इन महिलाओं की यह पहल न केवल आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में मील का पत्थर है बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा भी है।

ट्रेंड में हैं नाम और फोटो वाली राखियां

इस बार बाजारों में जो राखियां छाई हुई हैं, उनमें कस्टमाइज्ड राखियों की खास मांग है। नाम वाली राखियां, फोटो वाली राखियां और रिलेशन टाइटल जैसे लव यू भैया, कूल ब्रदर या बॉस भैया लिखी राखियां भी ट्रेंड पर हैं। ये राखियां थाली और गिफ्ट के साथ पैक होकर आकर्षक रूप में पेश की जा रही हैं। गोलबाजार में राखी बेच रही सविता वर्मा बताती हैं, लड़कियों को अब सबकुछ एक जगह चाहिए। राखी, चॉकलेट, कुमकुम और मिठाई साथ में पैक हो तो वे झट से खरीद लेती हैं।