
हादसों का स्पॉट बालमपुर घाटी, आठ माह में 35 र्दुघटनाएं
सलामतपुर. भोपाल-विदिशा स्टेट हाईवे की बालमपुर घाटी पर पिछले आठ महीने के अंदर लगभग 35 र्दुघटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें कई वाहन चालक अपनी जान गवां चुके और कई लोग घायल भी हुए। लेकिन जिम्मेदारों ने हादसे रोकने के लिए यहां पर ठोस उपाय नहीं किए। सिर्फ औपचारिकता ही पूरी की जाती रही। क्योंकि यहां पर चढ़ाई अधिक होने के साथ मोड़ भी है। जिससे दूसरी तरफ से आने वाले वाहन नजर नहीं आते। गौरतलब है कि पूर्व में बालमपुर घाटी पर लोहे की रेलिंग भी लगाई गई थी। जो आए दिन दुर्घटनाओं के कारण बार.बार टूट रही थी। जिसकी वजह से वाहन आए दिन हादसों का शिकार होकर खाई में गिर रहे थे।
फिर हादसों को रोकने के लिए टूटी हुई रेलिंग की जगह पर कुछ माह पहले एमपीआरडीसी ने सीमेंट की बोरियां भरकर उसमें रेडियम लगवा दिए थे, ताकि सड़क हादसे रोके जा सकें। सड़क के नजदीक गहरी खाई की साइट वाले हिस्से पर सीमेंट की बोरियां रखी थी। जिससे रात के समय वाहन चालकों को घाटी पर अंधे मोड़ की सूचना पहले मिल सके। लेकिन यह बोरियां भी एक महीने के अंदर ही क्षतिग्रस्त होकर नीचे गिर गई।
बालमपुर घाटी पर आठ माह में 35 दुर्घटनाएं
भोपाल विदिशा हाईवे की बालमपुर घाटी पर आए दिन रोड दुर्घटनाएं हो रही हैं। कुछ समय पूर्व अशोक लीलैंड ट्राला जीजे 12 जेड 1725 सलामतपुर रेलवे रेक पॉइंट से लोहे की टीन के रोल लेकर जमुनिया वेलस्पन कंपनी जा रहा था। रास्ते में बालमपुर घाटी पर चढ़ते समय ट्रॉले के ब्रेक फेल हो गए और ट्राला रिवर्स होकर नीचे खाई में उतर गया। वो तो गनीमत रही थी कि ट्रॉले के ड्राइवर और क्लीनर को कोई चोंट नही आई। दोनों ने ट्राले से कूदकर अपनी जान बचा ली। अन्यथा बड़ी जनहानि हो सकती थी।
हार्वेस्टर के दो टुकड़े हो गए
कुछ दिनों पहले घाटी पर सुबह लगभग पांच बजे कटनी से चावल भरकर इंदौर जा रहे आयशर मिनी ट्रक क्रमांक एचआर38 आर 7261 ब्रेक फेल होने के कारण अनियंत्रित होकर पलट गया था। मिनी ट्रक में ड्राइवर सहित सवार तीन लोग सवार थे। जिन्होंने ट्रक से कूदकर अपनी जान बचाई थी। इसलिए तीनों को मामूली सी चोटें आई थी। वहीं एक हार्वेस्टर भी घाटी पर चढ़ते समय पलट गया था। इससे उसके दो टुकड़े हो गए थे।
ये है हादसों की वजह
बालमपुर घाटी पर अधिक चढ़ाई होने और अंधा मोड़ होने की वजह से यहां अक्सर हादसे हो रहे। भोपाल-विदिशा स्टेट हाईवे के बालमपुर घाटी से दिन भर में लगभग 15 हजार छोटे बड़े वाहन निकलते हैं। जो यूपी, दिल्ली, मुम्बई, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में जाते हैं। यहां से बड़े-बड़े ट्रॉले और ट्रक क्षमता से अधिक माल लेकर घाटी पर चढ़ते हैं। फिर बीच घाटी पर पहुंचकर पीछे रिवर्स होने लगते और नीचे खाई में जाकर पलट जाते हैं। ना तो घाटी पर कोई संकेतक बोर्ड लगाए गए हैं। जिससे वाहन चालको को पहले ही अधिक चढ़ाई का पता चल सके।
फोरलेन रोड बनना जरुरी
वहीं घाटी सहित पूरे हाईवे पर टू-लेन सड़क बनी है। जबकि इस मार्ग पर टै्रफिक ज्यादा होने से फोरलेन में तब्दील किया जाना बेहद जरुरी हो गया है। मगर राज्य सरकार ने इस तरफ कदम ही नहीं बढ़ाया। क्योंकि इसी सड़क से होकर विदिशा होते हुए सागर, टीकमगढ़, छतरपुर आदि स्थानों की बसें सहित अन्य वाहन निकलते हैं। इसी के साथ सीएम और मंत्रियों का काफिला भी निकलता है। बाबजूद इसके व्यस्तम रोड का कायाकल्प नहीं हो पा रहा है।
इनका कहना
बालमपुर घाटी सहित भोपाल.विदिशा स्टेट हाईवे पर यातायात का अधिक दवाब रहता है। दोनों तरफ बड़े-बड़े हो गए इनमें बाइक का टायर घुस जाता है। जिससे चालक गिरकर घायल हो रहे हैं। घाटी पर अधिक चढ़ाई व अंधा मोड़ होने के साथ संकेतक बोर्ड भी नहीं लगाए। इसके कारण भी यहां पर ट्रक पलट रहे हैं। इस पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है।
नीरज जैन, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलामतपुर।
मैं प्रतिदिन सलामतपुर से भोपाल मोटर साइकिल से अपडाउन करता हूं। बालमपुर घाटी पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके और साइडों से रेलिंग भी टूट गई है। यहां से निकलने में जान का खतरा लगता है कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए।
साजिद खान, स्थानीय निवासी सलामतपुर।
Published on:
13 Sept 2022 10:12 pm
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