
bhopal-jabalpur greenfield highway construction raisen (फोटो- सोशल मीडिया)
highway construction: 23 अगस्त को जबलपुर आए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह की मांग पर भोपाल जबलपुर के बीच ग्रीन फील्ड हाइवे (bhopal-jabalpur greenfield highway) की घोषणा की थी। इस घोषणा से रायसेन के बाड़ी, बरेली, उदयपुरा क्षेत्र के लोग उत्साहित है। लोगों का मानना है कि ग्रीन फील्ड हाइवे बनने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पंख लगेंगे।
गडकरी ने भोपाल-इंदौर की तरह भोपाल और जबलपुर के बीच 15000 करोड़ की लागत से 255 किलोमीटर लंबा ग्रीन फील्ड हाइवे का निर्माण करने की घोषणा की है। उन्होंने दिसंबर तक हाइवे की डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए है। मध्यप्रदेश द्वारा शीघ्र भूमि उपलब्ध कराने पर अगले वर्ष अप्रैल-मई तक निर्माण शुरू हो जाएगा। मध्य प्रदेश शासन की जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट पर भी इस घोषणा का उल्लेख किया गया है। (mp news)
इस हाइवे के बनने से भोपाल-जबलपुर के बीच यात्रा समय में खासी कमी होगी। वर्तमान मार्गों की तुलना में दूरी और समय दोनों में कमी होगी। क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। भारी वाहन, लॉजिस्टिक्स, व्यापार अन्य एवं पर्यटन आदि को फायदा होगा। टाइगर कॉरिडोर जैसे पर्यावरणीय, पर्यटन प्रोजेक्ट्स के साथ जुड़ने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्र को लाभ होगा। (mp news)
बाड़ी-बरेली से निकले फोरलेन बायपास की डीपीआर में स्ट्रीट लाइट को शामिल नहीं किया गया था। जिसके दुष्परिणाम क्षेत्र के लोग भुगत रहे हैं। तीन साल बीत गए, लेकिन इस बड़ी चूक में सुधार नहीं हुआ। इस तरह की चूक बरेली से गुजरने वाले ग्रीन फील्ड हाइवे में ना हो, इसको लेकर क्षेत्र के विधायक और राज्य मंत्री नरेंद्र पटेल का कहना है कि प्रस्तावित भोपाल-जबलपुर ग्रीनफील्ड हाइवे में में सभी बातों का ध्यान रखा जाएगा। जो कुछ गलतियां पूर्व में हो गई हैं उनको न दोहराया जाए, इस पर विशेष ध्यान देंगे। (mp news)
दरअसल, ग्रीन फील्ड हाइवे का निर्माण बिल्कुल नए रूट पर किया जाता है, जहां पहले से कोई सड़क मौजूद नहीं होती। इस प्रोजेक्ट का मतलब यह कि काम शून्य से शुरू किया जाए। ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने में जमीन अधिग्रहण किया जाता है और बिल्कुल नया ट्रैक तय किया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि सड़क सीधी, चौड़ी और आधुनिक मानकों के अनुसार बनाई जा सकती है।
इन सड़कों पर सिग्नल, रेलवे फाटक या सामान्य क्रॉसिंग नहीं होते, जिससे तेज और सुरक्षित यात्रा संभव होती है। नगरीय क्षेत्रों से दूर बनाए जाते है, ताकि शहरों पर ट्रैफिक का दबाव ना पड़े। देश में दिल्ली से मुंबई एक्सप्रेस वे, अमरावती हैदराबाद ग्रीन फील्ड हाइवे जैसे कुछ अन्य हाइवे इसी तर्ज पर बनए जा चुके है। पीएम गति मास्टर प्लान के तहत देश में 22 एक्सप्रेस वे प्रस्तावित किए है। उनमें एक भोपाल-जबलपुर ग्रीन फील्ड हाइवे भी शामिल है। (mp news)
Published on:
21 Sept 2025 08:53 am
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