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गुम हो रही है गोंड, आदिवासियों की प्राचीन रियासत

प्रशासन और पर्यटन विभाग की अनदेखी से बर्बाद हो रही धरोहर

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रायसेन. जब सरकार जनजातीय समाज के उत्थान और विकास की बात कर रही है, लाखों सामाजिक लोगों को बुलाकर प्रधानमंत्री की उपस्थिति में तमाम योजनाओं की बात कही गई, रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज स्टेशन को नया नाम दिया गया। ऐसे में गोंड, आदिवासियों की प्राचीन विरासतों, धरोहरों को याद करना और उनकी वर्तमान स्थिति को उजागर जरूरी है।

रायसेन जिले का बड़ा हिस्सा गोंड, आदिवासियों की रियासत रहा है। बाड़ी, सिलवानी, सुल्तानगंज, बेगमगंज, गैरतगंज आदि क्षेत्र गोंडवाना रियासत का हिस्सा रहे हैं। बाड़ी में बारना बांध और बाड़ी कला के पिछले हिस्से में बाड़ी से लगभग 14 किमी दूर पहाड़ों के बीच बना चौकीगढ़ का किला आज भी सीना तान कर खड़ा है, गोंड रियासत की आलीशान और भव्य यादों को समेटे यह किला आज अनदेखी और गड़ा धन तलाशने वालों की करतूतों का शिकार होकर खंडहर बन गया है।

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गोंडवाना साम्राज्य की सत्ता और शक्ति का केन्द्र रहा चौकीगढ़ का किला, इतिहास की एक अनोखी दास्तान है। इसके खंडहर गोंड राजाओं के वैभव की कहानी बयां करते हैं। एडवेंचर के शौकीन ट्रेकिंग के लिए यहां आते हैं। बताया जाता है कि तेरहवीं शताब्दी में गोंड राजा उदयबर्धन ने इस दो मंजिला किले का निर्माण कराया था। वहीं मलिक कफूर खां तुकी, रुमि खान सहित कई आक्रांताओं ने इस किले पर हमले किए। सिंघोरी अभ्यारण क्षेत्र में स्थित किले की स्थापना से गोंडवाना साम्राज्य के प्रतापी राजा संग्राम सिंह शाह, रानी दुर्गावती के ससुर का नाम भी जुड़ा है। किले को निकट से देखने पर गोंड राजाओं की स्थापत्य शैली, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, संस्कृति, रहन-सहन और उनके वैभवशाली अतीत को समझा जा सकता है।

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रायसेन से जुड़े तार
जब रूमी खां तुर्की और मुगल हुमायूं की सेना ने मिलकर रायसेन किले पर आक्रमण किया था। तब रायसेन की राजमाता दुर्गावती शिलाद सिंह तोमर ने 700 महिलाओं के साथ जौहर कर लिया था और अपने वंशज प्रताप सिंह तोमर को सुरक्षित गुप्त मार्ग से बाड़ीगढ़ के राजा मानसिंह राजगोड के पुत्र पूरनमल शाह के पास भेज दिया था। साथ ही एक पोटली बावड़ी में फेंकने का पैगाम भेजा। पोटली में संभवत पारस पत्थर था शायद इसी कारण लोग लालच में चौकी गढ़ किले को कई स्थानों पर खुदाई करते हैं।

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