
राजगढ़। कभी राजगढ़ जिला कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था यहां दिग्विजय सिंह और उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह लंबे समय तक सांसद रहे हैं। इसके अलावा कई बार ऐसे मौके आए जब विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकांश विधायक कांग्रेस के ही जीत कर आए हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों के नतीजों को देखें तो कहीं ना कहीं दिग्विजय सिंह का गढ़ कहे जाने वाला राजगढ़ अब खोखला हो गया है और भाजपा ने यहां इस तरह सेंध लगाई है की कांग्रेस की स्थिति बहुत ही कमजोर नजर आने लगी है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान हुए मतदान के बाद मतगणना में आए परिणाम को देखें तो यहां जिले की 6 जनपदों में से 5 में भाजपा के अध्यक्ष बनते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं जिला पंचायत सदस्यों की बात की जाए तो कांग्रेस के सदस्य ज्यादा है लेकिन अध्यक्ष को लेकर उनमें भी फूट पड़ी हुई है। अब जब नगरीय निकाय के चुनाव सामने आए इसके बाद तो हालत और भी कमजोर दिख रही है।
जिले के 14 निकायों में हुए चुनाव के बाद 216 वार्ड में से सिर्फ 70 वार्ड ही कांग्रेस के खाते में आए हैं। जबकि 30 वार्ड निर्दलीय और अन्य के खाते में गए। भाजपा ने 216 वार्ड में कब्जा किया है। इस चुनाव की यदि बात की जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नगरी निकाय चुनाव प्रचार प्रसार की शुरुआत की राजगढ़ से की। जबकि दिग्विजय सिंह के माध्यम से राजगढ़ में टिकट तो दिए गए लेकिन यदि प्रत्याशियों के प्रचार या किसी सभा की बात की जाए तो उन के माध्यम से नहीं की गई। जबकि भाजपा ने यहां छोटे चुनाव को भी बड़े चुनाव की तरह ही लड़ा है। जिसका नतीजा है कि 14 में 11 निकायों में भाजपा बहुमत में है।
Updated on:
21 Jul 2022 07:27 pm
Published on:
21 Jul 2022 07:26 pm
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