
किसानों को सातने लगी चिंता, कैसे होगी रबी की बोवनी!
राजगढ़ प्रकाश विजयवर्गीय की रिपोर्ट....
नवरात्रि में मुर्हूत कर जिले के अधिकांश किसान रबी फसलों की बोवनी में लग गए है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी किसानों को बोवनी के समय सबसे जरूरी डीएपी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। बाद में अन्य उवर्रकों की कमी भी किसानों की पैदावर को प्रभवित करेगी।
जिले के बोवनी लक्ष्य को देखते हुए यहां करीब 100500 मेट्रिक टन उवर्रक की आवश्यकता है। लेकिन इसमें से अब तक सिर्फ 34738 मेट्रिक टन उवर्रक ही उपलब्ध हो पाया है। इधर बेहतर बीजोकी कमी भी किसानों के लिए परेशानी बन रही है।
किसानों को नहीं मिल पा रही पर्याप्त डीएपी...
जिले में करीब 70 हजार क्विटंल की मांग है जबकि बोवनी के इस समय तक सिर्फ 17294 क्विटंल बीज ही उपलब्ध हो पाया है। ऐसे में इस बार भी किसान परंपरागत बीजो की बुवाई कर रहे है।
दरअसल मौसम की अनुकूलता और पानी की स्थिति को देखते हुए जिले के कई क्षेत्रो में किसानों ने बोवनी की शुरूआत कर दी है। लेकिन इस बार भी कृषि विभाग ने पूर्व से डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता पूर्व से नहीं की ऐसे में किसानों को बोवनी के इस महत्वपूर्ण समय में खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
किसानो के लिए परेशानी शुरू....
रबी फसलों के लिए बोवनी के समय किसानो को सबसे पहले डीएपी की जरूरत लगती है। कृषि विभाग की माने तों जिले में अब मांग के अनुसार करीब 90 प्रतिशत डीएपीउपलब्ध हो चुका है। जिसका वितरण संस्थाओं ओर विपणन संघ के माध्यम से किया जाना है। लेकिन मांग अनुसार पूर्ति नहीं होने के चलते जिले की कई संस्थाओ में डीएपी के लिए किसानो की भीड़ उमड रही है।
निर्धारित मात्रा में डीएपी लेने के लिए किसानो को परेशान होना पड़ रहा है। बोवनी के करीब एक माह बाद से किसानों को यूरिया की आवश्यकता लगने लगेगी। उस समय यूरिया की कमी के कारण भी किसान तो परेशान होंगे ही सही साथ ही फसलों की ग्रोथ पर भी असर पडेगा।
दरअसल जिलें में करीब 35 हजार मेट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता लगेगी। लेकिन अब तक 9413 मेट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध हो पाया है।
सही नहीं है आंकलन....
कृषि विभाग द्वारा हर साल जिले में बोवनी योग्य जमीन, भौगोलिक परिस्थिति , उपलब्ध सिंचाई साधन आदि को ध्यान में रखते हुए बोवनी लक्ष्य निर्धारित किया जाता है।
इसी आधार पर बीज और उवर्रक की मांग और उसकी पूर्ति कराई जाती है। लेकिन इसके लिए मैदान परीक्षण नहीं होने से बीज और खाद की कमली सामने आ रही है। दअसल जिले में मोहनपुरा और कुंडालिया सहित कई सिंचाई परियोजनाएं तैयार होने से इनसे लगे सैकड़ो गांवो का रकबा बड़ा है।
लेकिन विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे मे विभाग द्वारा उीएपी की पर्याप्त उपलब्धता के दावों के बीच इसकी भारी कमी बनी हुई है। उवर्रक की आवश्यता और वर्तमान उपलब्धता मेट्रिक टन में...
उवर्रक मांग पूर्ति कमी
डीएपी 1 4000 13850 150
यूरिया 35000 9413 25587
सुपरफास्फेट 40000 9269 30731
12:32:16 4250 936 3314
इस वर्ष बोवनी का लक्षय....
फसल संभावित लक्ष्य हेक्टयर में
गेंहू 1,70,000
जो 10,000
चना 87,000
मटर 32,000
सरसों 7,000
डीएपी जिले में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यदि किसी सोसाईटी े डीएपी की वितरण नहीं हो रहा है तो इसे दिखवता हूं। जहां तक यूरिया का सवाल है वर्तमान में जिले में करीब 10 हजार मैट्रिक टन यूरिया का भंडारण हो चुका है।
आर एस मालवीय उपसंचालय कृषि विज्ञाग राजगढ़
Published on:
27 Oct 2018 10:46 am
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