राजगढ़ जिले में खिलचीपुर रोड पर सिद्धपीठ मां जालपा विराजमान है। यहां करीब 550 से अधिक साल पहले भील राजाओं ने माता की स्थापना की थी। उस दौरान भीलों द्वारा ही माता की पूजा अर्चना की जाती थी। लेकिन बाद में समय के साथ परिवर्तन आया। यहां वैसे तो सालभर ही श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी रहती है, लेकिन खासकर नवरात्रि और शादी ब्याह के सीजन में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है, क्योंकि परिणय सूत्र में बंधने के बाद दूर दराज से भी वर-वधू माता का आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं।
मां जालपा के नाम से देशभर में पहचानी जाने वाली माता का मंदिर पहाड़ी पर बसा है। यहां मुख्य सड़क से मंदिर पहुंचने के लिए सीढिय़ों के साथ ही सड़क मार्ग भी है, लोग पैदल और वाहनों से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। लेकिन मंदिर पहुंचने के बाद जो नजारा भक्तों को दिखता है वह पूरी थकान दूर कर देता है, क्योंकि मंदिर के आसपास खड़े होकर जब नीचे की ओर नजर डालते हैं, तो प्राकृतिक सुदंरता का नजारा देखते ही बनता है। पहले माता की स्थापना एक चबुतरे पर हुई थी, लेकिन अब वहां भव्य मंदिर बन चुका है, साथ ही यहां पर प्रशासन के सहयोग से मंदिर को ट्रस्ट घोषित किया गया।यहां दर्शन की नि:शुल्क व्यवस्था होकर पेयजल, सुविधाघर सहित सामुदायिक भवन भी है।
माता के यहां पांती रखकर होते हैं विवाह
मां जालपा की कहानी देश भर में प्रसिद्ध है, यहां उन लोगों के विवाह भी सम्पन्न हो जाते हैं, जिनके विवाह का मुहूर्त नहीं होता है, बताया जाता है कि अगर किसी जोड़े का विवाह मुहूर्त नहीं होता है, तो माता के दरबार में पांती रखने के साथ ही विवाह किए जा सकते हैं। फिर शादी के बाद दोनों पक्षों के लोग दूल्हा-दुल्हन सहित माता का आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं। ऐसे में शादी ब्याह के सीजन में भी यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रहती है।
यहां तैयार होते हैं सपनों के घर
जो लोग अपने मन में घर का सपना संजोए बैठे हैं। वे लोग माता के दर्शन करने के बाद पहाड़ पर ही पत्थरों से घर की आकृति बनाते हैं, कहा जाता है कि सच्चे मन से बनाई हुई आकृति निश्चित ही मूर्त रूप लेती है, वहीं विभिन्न कामनाओं को लेकर श्रद्धालु यहां स्वातिक भी बनाते हैं।
ऐसे पहुंचे जालापा माता
मध्यप्रदेश के राजगढ़ (ब्यावरा) जिले में माता जालापा का मंदिर है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालु बस के माध्यम से राजगढ़ आएं, जिन लोगों को ट्रेन का सफर सुगम पड़ता है, वे ट्रेन से ब्यावरा तक पहुंच सकते हैं, इसके बाद बस से राजगढ़, वहीं जो लोग फ्लाइट से आना चाहते हैं, उन्हें भोपाल या इंदौर नजदीक रहता है, इसके बाद बस या टेक्सी के माध्यम से राजगढ़ पहुंचना होता, राजगढ़ आने के बाद खिलचीपुर रोड पर राजगढ़ से करीब 6 किलोमीटर दूर माता का मंदिर है, यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु अपने ठहरने की व्यवस्था राजगढ़ में कर सकते हैं, यहां कई होटल, लॉज व धर्मशालाएं हैं।