
pandit pradeep ji mishra sehore wale ki katha
pandit pradeep ji mishra sehore wale ki katha. शहर से लगभग 4 किलोमीटर दूर टोल नाके के पास कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा शिव महापुराण का वाचन किया जा रहा है। दूसरे दिन पं. मिश्रा ने माता अंजना और भगवान शिव के हनुमंत रूप और उनके परिवार से रूबरू कराया। उन्होंने मौजूद श्रद्धालुओं से अपील की कि वह ऐसी कथाओं में महंगे जेवरात पहनकर न आएं। ज्यादा सोना पहनते हैं तो चोर उन्हें देखते हैं, सोना पहनने से ज्यादा सुंदर देखेंगे तो लुच्चे उन्हें देखते। लेकिन यदि आप रुद्राक्ष धारण करते हैं और भगवान भोले की भक्ति में समय देते हैं, तो भगवान महादेव का आशीर्वाद आपको मिलेगा।
उन्होंने कहा किसी भी आडंबर या दिखावे की जरूरत नहीं है। भगवान आपकी सादगी की पूजन से प्रसन्न होते हैं। आप कितने ही सुंदर हो जाओ लेकिन एक दिन ऐसा आता है जब आपकी काया ढल जाती है। आपका शरीर मुरझा जाता है। लेकिन भक्ति की शक्ति और विश्वास कभी कम नहीं होता। जिसका भगवान पर विश्वास है वह हमेशा सफलता पाता है। इस दौरान उन्होंने कहा छापीहेड़ा की एक 100 साल से भी अधिक आयु की महिला के बारे में एक पत्र पढ़ते हुए बताया। छापीहेड़ा में रहने वाली एक 100 साल की महिला जो इतनी वृद्ध होने के बाद भी भगवान शिव की भक्ति से जुड़ी रही और आज उनकी कई बीमारियां दूर हो गई है। वह कथा सुनने के लिए भी यहां पहुंची हैं। लेकिन आजकल की कुछ महिलाएं ऐसी हैं, कि कथा सुनने की जब बात आती है तो तैयार होने में ही लंबा समय लगता है या फिर कई बार लंबी दूरी का हवाला दे देते हैं और भीड़भाड़ की बात कहते हुए कथा तक नहीं पहुंचते। लेकिन इस पंडाल में कथा सुनने से ही कई तरह के दुख दर्द दूर हो जाते हैं। क्योंकि जहां भी इतनी बड़ी संख्या में लोग कथा को सुनने आते हैं और एक साथ ओम नम: शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं जैसे श्लोक बोलते हैं तो भगवान पांचों दिन वहां रहते हैं।
भक्ति और विश्वास रखिए, भोलेनाथ की कृपा होगी
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि तीन चीजें देने पर कई लोग आधा छोड़ देते हैं, फिर चाहे वह भोजन हो प्रेम हो या ज्ञान। कई बार आधा छूट जाता है। लेकिन शिव महापुराण सुनने के बाद भक्ति और विश्वास जितना ज्यादा बढ़ेगा परमात्मा उतने आपके पास आएंगे।
हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाएं, हर समस्या का हल निकलेगा। इसमें समय लग सकता है लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं। विश्वास रखिए बड़े से बड़े काम भगवान भोले की भक्ति से पूरे हो रहे हैं। यदि आप कथा को दिल से सुनेंगे तो हम भी दिल से सुनाएंगे और भोलेनाथ भी हमारी पुकार दिल से ही सुनेंगे।
कुछ लोग चप्पल की तरह होते है
कुछ लोगों की तुलना चप्पल से की। कहा कि कई लोग ऐसे होते हैं जो हर समय आपके साथ चलते हैं। जहां आप जाएंगे वहां भाई साथ रहेंगे और हर बात में आपका सहयोग भी करेंगे। चोट नहीं लगने देंगे, पैर को खराब नहीं होने देंगे, हर समय रक्षा करेंगे। लेकिन मौका मिलेगा तो पीछे से कीचड़ जरूर उछालेंगे। कथा सुनने आए हैं तो कथा पर विश्वास और श्रद्धा भी होना जरूरी है। यदि सनातन धर्म या फिर यहां हमारे भोलेनाथ, श्री कृष्ण, श्री राम या अन्य भगवान के बारे में कोई कुछ बोलता है तो सभी को एक साथ उसका विरोध करना है। उन्होंने कहा शेयर मार्केट गिरता है तो अखबारों में छपता है। टीवी में दिखता है। लेकिन आदमी कितने नीचे गिर गया यह कभी अखबार या फिर टीवी पर चलते नहीं देखा। काला चश्मा लगाओगे तो कल दिखेगा। भगवान पर विश्वास करोगे तो भगवान नजर आएगा। मनुष्य में बढ़ रही आपसी प्रतिद्वंता को एक उदाहरण से समझाया। बिल्ली रास्ता काटती है। तो लोग कहते हैं, यहां से ना निकले। बिल्ली उतना रास्ता नहीं काटती, जितना मनुष्य मनुष्य का रास्ता काट रहा है। आज हम अपना और अपने परिवार का स्वार्थ देखते हैं। लेकिन महादेव के सब बच्चे हैं। विश्व कल्याण के लिए और जगत उद्धार के लिए उन्होंने विश्व पी लिया। लेकिन दुख होता है कि मनुष्य, मनुष्य से ईर्ष्या और द्वेष रखता है। जो नही होना चाहिए।
गिरते पानी मे हजारों भक्त बोलते हर हर बम-बम
जैसे ही कथा का समापन हुआ तेज गर्मी के बाद बारिश होने लगी और लगभग 1 घंटे तक लगातार बारिश चलती रही। ऐसे में पांडाल से बाहर आ चुके हजारों श्रद्धालु इस बारिश में भीग गए। लेकिन बारिश में भीग जाने के बाद भी उनका किसी तरह का भी उत्साह कम नहीं हुआ और रास्ते भर बम बम भोले भोले के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते गए।
हजारों लोग पहुंचे, 2 घंटे लगे निकलने में
रविवार को कथा का दूसरा दिन था। ऐसे में हजारों की संख्या में लोग कथा को सुनने पहुंचे। न सिर्फ इस बड़े पंडाल में बल्कि पंडाल के बाहर भी बड़ी संख्या में लोग इस कथा को सुन रहे थे। जब कथा समाप्त हुई तो वाहनों की कतारें और पैदल चल रहे लोगों से भरे रास्ते को साफ होने में 2 घंटे से भी ज्यादा का समय लगा। कथा जब खत्म तो इसका असर न सिर्फ राजगढ़ बल्कि की ब्यावरा तक सड़क पर दिखा।
Updated on:
21 Aug 2023 11:35 am
Published on:
21 Aug 2023 11:34 am
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