
Rajnandgaon News: जिले में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून मजाक बन गया है। यहां शिक्षा विभाग की मनमानी और लापरवाही के कारण गरीब बच्चों के पालक निजी स्कूलों में आवेदन ही नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा बरती जा रही ढिलाई का निजी स्कूल के संचालक बखूबी फायदा उठा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि शिक्षा विभाग के अफसर जान बूझकर निजी स्कूलों पर मेहरबानी दिखा रहे हैं।
शिक्षा विभाग के अफसर द्वारा चार बिंदुओं में गंभीर लापरवाही की गई है, जिसमें पहला मैपिंग, दूसरा बच्चे की उम्र की खामी में सुधार नहीं, तीसरा बड़े स्कूलों द्वारा छिपाई सीट का सत्यापन नहीं और चौथा शहर सहित जिले में संचालित प्री प्राइमिरी स्कूलों का पंजीयन नहीं कराया गया है। इस तरह से अफसरों की लापरवाही के कारण राजनांदगांव जिले में आरटीई सीटाें की संख्या पिछले तीन सालों में घटकर आधी हो गई है।
आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए उम्र की खामियों को नहीं सुधारा गया है। इसके चलते भी कई बच्चे प्रवेश पाने से वंचित हो जा रहे हैं। प्रथम चरण में एक से तीन किमी की दूरी तक के स्कूलों में आवेदन किया जा सकता है, लेकिन यहां उसी वार्ड का निवासी होने की अनिवार्यता कर दी गई है।
बड़े-बड़े स्कूलों द्वारा सीटों की संख्या छिपाई गई है। शिक्षा विभाग के अफसर और नोडल अधिकारी द्वारा स्कूलों द्वारा बताए सीटों की संख्या का भौतिक सत्यापन नहीं कर सीधे जारी कर दिया जाता है। इस वजह से आरक्षित सीट की ऑनलाइन सही जानकारी नहीं मिल पा रही। बगैर सत्यापन के ही शिक्षा विभाग द्वारा सीटों के लिए अप्रूवल दिया जा रहा है।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब तबके के बच्चों का निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए पोर्टल के माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन मैपिंग गलत होने के कारण कई वार्डों में आसपास के ही स्कूलों को ऑनलाइन नहीं दिखाया जा रहा है। गौरी नगर में एक ही स्कूल दिखाया जा रहा। स्टेशनपारा के बच्चों को पार्टल में दो स्कूल दिखाया जा रहा है।
Updated on:
14 Mar 2024 02:07 pm
Published on:
14 Mar 2024 02:04 pm
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