
Ganesh Jhaki 2025: गणपति बप्पा को विदाई देने के साथ ही शहर में आकर्षक झांकी निकालने की परंपरा है। इस परंपरा को आज की नई पीढ़ी कायम रखी हुई है। परंपरा 100 साल पुरानी है। पहले समिति के सदस्य खुद ही कारीगरों के साथ मिलकर झांकियां तैयार करते थे। तैयार करने में माहभर तक समय लगता था। संसाधनों की कमी के बीच मिट्टी से बनी मूर्तियों को झांकी में इस्तेमाल करते थे पर अब समय के साथ झांकियों के आकार से लेकर स्वरूप में काफी कुछ बदलाव आ गया है। झांकी तैयार करने में चार से पांच लाख रुपए तक खर्च होते हैं। वहीं अब एलईडी लाइट्स, हाइड्रोलिक सिस्टम और ऑडियो-विज़ुअल इफेक्ट्स के साथ झांकियों को तकनीकी रूप से सजाया जाता है।
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि अब ज्यादातर झांकियां किराया पर ली जाती है ताकि समितियों पर आर्थिक बोझ ज्यादा न पड़े। कारीगर किराया पर झांकी देकर अच्छी कमाई कर लेते हैं। राजनांदगांव के बाद यह झांकियां डोंगरगढ़ व रायपुर, भिलाई में खप जाती हैं।
पहले शहर के हर गणेश पंडाल में स्थल सजावट पर ज्यादा फोकस करते थे तब गिनती की झांकियां निकलती थीं पर महंगाई का असर ऐसा हुआ कि समितियां अब स्थल की बजाए विसर्जन झांकी भी ज्यादा जोर देती हैं। पंडाल में गणेश रखते ही शुरू हो जाती है झांकी की तैयारी। बाल समाज के पम्पी अग्रवाल का कहना है कि स्थल सजावट में खर्च के साथ प्रबंधन भारी पड़ता है। समिति के सदस्यों को पूरे ११ दिन तक देखरेख करनी पड़ती थी। इसलिए अब केवल विसर्जन झांकी निकालते हैं।
तिरंगा गणेशोत्सव समिति के संरक्षण गणेश प्रसाद शर्मा गन्नू ने बताया कि झांकी निकालना पहले चुनौती भरा कार्य था। समिति के सदस्य झांकी के लिए एक-एक सामान की व्यवस्था करते थे। तकनीकी संसाधनों का अभाव था। पहले मिट्टी और पैरा की मूर्ति बनाते थे। मूर्तियां वजनी होती थीं, मूवमेंट करने में दिक्कत होती थी। कई बार रास्ते में ही झांकी फेल हुई है। अब तो फाइबर की हल्की मूर्तियां बन रहीं हैं। इससे दो से तीन जीप में मूवमेंट करते हुए झांकी निकालने में परेशानी नहीं होती। अब की दौर की झांकियां आधुनिक तकनीक पर आधारित रहती हैं।
एएसपी राहुल देव शर्मा ने बताया कि झांकियां पुराने रूट पर ही निकलेंगी। गुरुनानक चौक से झांकियां एंट्री लेने के बाद मानव मंदिर चौक पहुंचेंगी। यहां निगम की ओर से नंबर जारी किया जाएगा। इसके बाद निर्धारित रूट पर आगे बढ़ेंगे। एएसपी ने बताया कि निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार ही साउंड सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे।
Published on:
01 Sept 2025 05:06 pm
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