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CG Hospital News: निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना को बना डाला ATM कार्ड, डॉक्टर नहीं फिर भी हो रहा इलाज.. बकि शासन द्वारा 1 अक्टूबर को ही शासकीय डॉक्टरों को निजी अस्पतालों में सेवा नहीं देने आदेश जारी किया गया है, लेकिन जिले में शासन के इस आदेश का पालन कराने
स्वास्थ्य विभाग गंभीर ही नहीं है। बता दें कि शासकीय अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी सेवा में सुधार लाने के उद्देश्य से शासन द्वारा सख्ती बरती जा रही है। इसके चलते शासकीय डॉक्टरों को अपनी डॺूटी अवधि के बाद केवल अपने घर पर ही प्रैक्टिस कर सकते हैं।
निजी क्लीनिक या किसी भी
अस्पताल में पार्ट टाइम सेवा या ओपीडी नहीं कर सकते है। इसकी मॉनिटरिंग के लिए शासन स्तर पर टीम बनाने की भी जानकारी मिली है। दरअसल राज्य सरकार शासकीय अस्पतालों में व्यवस्था सुधारने डॉक्टरों की मौजूदगी बनाए रखने यह आदेश जारी किया है।
जिले में ऐसे कई शासकीय डॉक्टर हैं, जिनका खुद का अस्पताल है, या फिर कुछ अस्पतालों में पार्टनशिप में काम चल रहा है। बकायदा इन डॉक्टरों निजी अस्पतालों में उन डॉक्टरों नाम और ओपीडी टाइमिंग का बोर्ड चस्पा है। ऐसे डॉक्टरों पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन और जिला चिकित्सा अधिकारी को कड़ाई बरतने की जरूरत है। शासकीय अस्पताल के डॉक्टरों की सेवा लेने वाले निजी अस्पतालों पर भी कार्रवाई की जरूरत है।
बढ़ रहे निजी अस्पताल
बता दें कि शासकीय अस्पतालों में सारी सुविधाएं और बेहतर डॉक्टर मौजूद होने के बाद भी शहर में निजी अस्पतालों की बाढ़ सी आ गई है। चूंकि सभी सुविधा होने के बाद सरकारी अस्पताल समय पर डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीज परेशान होते हैं। कई बार शासकीय अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्टाफ भी कमीशन के लालच में मरीजों को निजी अस्पतालों में भेज देते हैं। ऐसे ही मनमानी को रोकने यह कदम राज्य शासन द्वारा उठाया गया है।
यहां ज्यादातर सरकारी डॉक्टर खुद खोल रखे हैं क्लीनिक
राजनांदगाव सीएमएचओ डॉ. एनआर नवरतन ने बताया कि निजी अस्पतालों से शासन ने शासकीय डॉक्टरों का सेवा नहीं लेने संबंधी शपथ पत्र मांगा है। निजी अस्पतालों से शासन द्वारा निर्धारित बिंदु पर शपथ पत्र भरवाया जाएगा। इसके बाद भी यदि वहां शासकीय डॉक्टरों द्वारा सेवा करते पाए जाते हैं, तो वे दोषी माने जाएंगे। ऐसी कोई शिकायत मिलती है, तो शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।