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Navratri 2025: आस्था का प्रतीक मां भानेश्वरी देवी, आज भी महसूस होते हैं माता के चमत्कार, पुरुष द्वारा किया जाता है जावरा विसर्जन

Navratri 2025: मां भानेश्वरी देवी के नाम से पूजते हैं, मात्र 15 वर्ष की अवस्था में अलौकिक शक्तियों से लोकमानस को प्रचलित हो गईं थीं।

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Navratri 2025: आस्था का प्रतीक मां भानेश्वरी देवी, आज भी महसूस होते हैं माता के चमत्कार, पुरुष द्वारा किया जाता है जावरा विसर्जन

Navratri 2025: राजनांदगांव जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर दल्ली राजहरा मार्ग स्थित ग्राम सिंघोला आज भी आस्था और चमत्कार का जीवंत प्रतीक है। यहां जन्मी भानुमति साहू, जिन्हें श्रद्धालु मां भानेश्वरी देवी के नाम से पूजते हैं, मात्र 15 वर्ष की अवस्था में अलौकिक शक्तियों से लोकमानस को प्रचलित हो गईं थीं।

यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि 9 मई 1911 को किसान परिवार में जन्मी भानुमति के जीवन में पहला चमत्कार तब घटित हुआ जब एक अज्ञात वृद्धा ने उन्हें मटर के दाने खिलाए और अचानक अदृश्य हो गई। इसके बाद देवी को तेज बुखार और चेचक के दाने उभरे, जो समय-समय पर प्रकट होते और ठीक हो जाते। इस अलौकिक घटना ने ग्रामीणों का ध्यान आकर्षित किया।

ग्रामीण परंपरा अनुसार जब उन्हें शीतला मंदिर ले जाया गया, तभी उन्होंने कहा कि ‘मैं यहीं रहूंगी, यही मेरा स्थान है।’ इसके बाद सामूहिक सहयोग से उनके लिए मंदिर के पास ही मकान बनाया गया, जहां वे समाधि तक रहीं। यहां नवरात्रि में श्रद्धालु बड़ी संया में पहुंचते हैं।

देवी भानेश्वरी के भक्त आज भी मानते हैं कि उनकी साधना और आशीर्वाद से दुख-दर्द मिटते हैं। सिंघोला सहित आसपास के गांवों -बनायकपुर, करमतरा, नगपुरा, रानीतराई, चौकी ङ्त के हजारों लोग इन चमत्कारों के साक्षी बने। आज भी श्रद्धालु उनके समाधि स्थल पर जाकर कष्ट निवारण की प्रार्थना करते हैं। मां भानेश्वरी देवी की यह पावन स्मृति सिंघोला को धार्मिक आस्था का तीर्थ बना चुकी है।