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CG Monsoon 2025: मानसून पर लगे ब्रेक ने किसानों की बढ़ाई चिंता, आषाढ़ महीने आधा निकलने के बाद भी नहीं हुई झमाझम बारिश

CG Monsoon 2025: मौसम वैज्ञानिकों का पूर्वानुमान भी सटिक नहीं बैठ रहा है। वहीं जिले में खरीफ सीजन की बोआई की बात की जाए तो छिड़काव पद्धति से बोए जाने वाले धान की बोआई लगभग पूर्णता की ओर है।

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CG Monsoon 2025: मानसून पर लगे ब्रेक ने किसानों की बढ़ाई चिंता, आषाढ़ महीने आधा निकलने के बाद भी नहीं हुई झमाझम बारिश

मानसून पर लगे ब्रेक ने किसानों की बढ़ाई चिंता (Photo Patrika)

CG Monsoon 2025: खरीफ सीजन 2025–26 की बोनी शुरू हो चुकी है। किसान धान सहित अन्य मोटा अनाज मक्का, कोदो, कुटकी और रागी से लेकर दलहन, तिलहन और सब्जी की बोआई तेजी से कर रहे हैं। तेजी से बोआई में जुटे किसानों की चिंता मानसून पर लगे से ब्रेक से बढ़ गई है। आषाढ़ महीने का पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अब तक लंबे समय तक झमाझम बारिश नहीं हुई है।

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बहरहाल मामूली और रिमझिम बारिश के सहारे किसान बोनी कार्य कर रहे हैं। पिछले तीन-चार दिनों से अच्छी बारिश की उम्मीद जताई जा रही, लेकिन आसमान में सिर्फ बदली ही छा रही। मौसम वैज्ञानिकों का पूर्वानुमान भी सटिक नहीं बैठ रहा है। वहीं जिले में खरीफ सीजन की बोआई की बात की जाए तो छिड़काव पद्धति से बोए जाने वाले धान की बोआई लगभग पूर्णता की ओर है। सप्ताहभर बाद रोपाई भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए नर्सरी में धान की फसल तैयार की जा चुकी है। दलहन-तिलहन, मोटे अनाज और सब्जी की भी बोआई 50 फीसदी से अधिक हो चुकी है।

खरीफ में धान को ही प्राथमिकता देते हैं

जिले में किसान खरीफ सीजन में धान को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। क्योंकि खरीफ सीजन में बोए धान की खरीदी सरकार समर्थन मूल्य में करती है। प्रति एकड़ २१ क्विंटल धान को 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी जाती है। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। यही कारण है कि किसान खरीफ सीजन में अन्य फसलों को छोड़कर धान को अधिक रकबा में बोते हैं।

दो लाख हेक्टयर में धान की खेती हो रही

कृषि विभाग से मिली जानकारी अनुसार जिले में कुल खेती का रकबा इस साल 1 लाख 84 हजार 400 हेक्टेयर है। इसमें से 1 लाख 72 हजार 600 हेक्टेयर में धान की खेती की जा रही है। 3720 हेक्टेयर में मक्का और कोदो-कुटकी की बोआई की जा रही है। वहीं 1295 हेक्टेयर में दहलन की फसलें उगाई जा रही हैं, तो 3340 हेक्टेयर में किसान तिलहन फसल ले रहे हैं। वहीं 3445 हेक्टेयर में गन्ना और साग-सब्जी की बोआई की जा रही है।