scriptआस्था की हिलोरें, उल्लास का अन्नकूट और ‘लूट’ का रोमांच | In Rajsamand celebrated Deepawali | Patrika News

आस्था की हिलोरें, उल्लास का अन्नकूट और ‘लूट’ का रोमांच

locationराजसमंदPublished: Nov 10, 2018 12:08:42 pm

Submitted by:

jitendra paliwal

दीपोत्सव : घर-घर में सजे दीप, वैष्णव मंदिरों में परम्परा से हुई अन्नकूट लूट

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आस्था की हिलोरें, उल्लास का अन्नकूट और ‘लूट’ का रोमांच

राजसमंद. परम्परा और संस्कृति आधारित अनूठी गतिविधियों ने तीन दिन तक आमजन में श्रद्धा, खुशी और रोमांच का संचार कर दिया। देवालय, घर एवं प्रतिष्ठान पर दीपावली, गोवद्र्धन पूजा के उत्सव दीप जलाकर, रंगीन आतिशबाजी कर हर्षोल्लास से मनाए गए। श्रीनाथजी मंदिर, कांकरोली में द्वारकाधीश मंदिर, गढबोर के चारभुजानाथ मंदिर व सेमा के लक्ष्मीनारायण मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान, अन्नकूट महोत्सव का उल्लास छाया रहा।
जिला मुख्यालय पर बुधवार को मिठाईयों, माला, पूजन सामग्री की खूब बिक्री हुई। घर, प्रतिष्ठान के द्वार गेरु से लीपकर आकर्षक सजावट की गई। शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा की गई। संध्या के वक्त घर- प्रतिष्ठान के द्वार, चौखट, छतों दीपक जलाए गए। दिन ढलने के साथ शहर के विभिन्न गली, मोहल्लों, चौराहों पर रंगबिरंगी, सतरंगी आतिशबाजी होने लगी और आसमान रंगीन हो गया। दूसरे दिन सुबह शहर- देहात घर के बाहर गोबर से गोवर्धन बनाकर विशेष पूजा अर्चना की। फिर मवेशियों के सिंग रंगे। गाय एवं बैलों को नहलाने के बाद खेखरा भडक़ाने का उत्सव परंपरा से मनाया गया।

श्री प्रभु को धराया अलौकिक शृंगार
दीपावली व अन्नकूट पर द्वारिकाधीशजी को अलौकिक शृंगार धराया गया। श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारकाधीश मंदिर में दीपावली पर सुबह श्रीप्रभु के श्रीमस्तक पर श्वेत जरी की बड़े साज की कूल्हे, उस पर तेरह चन्द्रिका का सादा जोड़, फरूकसाई जरी का चाकदार वाघा, लाल अतलस की सूथन, लाल जरी का पटका एवं हीरा पन्ना माणक के आभरण के साथ तीन जोड़ी शृंगार से श्रीप्रभु का चित्ताकर्षक शृंगार किया व केसरी रेशमी ठाड़े वस्त्र धारण कराए। श्री प्रभु को सोने के बंगले में बिराजित किया। सायं भोग-आरती के दर्शनों में श्री प्रभु को अष्ट पहलू के गंगा-जमनी बंगले में बिराजित किया। शयन में मंदिर की कान तिबारी में सिंहासन पर बिराजित कर दर्शन कराए गए। इन्हीं दर्शनों के समय गाए लाकर गोवर्धन पूजा चौक से श्री प्रभु के सम्मुख ग्वालों ने खेल रचाए। दूसरे दिन श्रीप्रभु के श्रीमस्तक पर श्वेत जरी की मंझले साज की कूल्हे, उस पर ११ चन्द्रिका का सादा जोड़, जरी गोकर्ण, फरूकसाई जरी को चाकदार वाघा, लाल अतलस की सूथन, लाल जरी का कटि पटका तथा हीरा, पन्ना व माणक के आभरण एवं दो जोड़ी के शृंगार के साथ केसरी रेशमी ठाड़े वस्त्र धारण कराए।

गो-क्रीडऩ देखकर झलका उत्साह
आसोटिया स्थित श्री द्वारकाधीश गौशाला में खेंखरे पर गो-क्रीडऩ देख हर किसी का मन उत्साह व उल्लास छा गया। मंदिर के ग्वाल बालों ने कूपी बजा कर गायों को खूब खेलाया। गाय बछड़ों के इधर उधर उछलकूद ने आमजन में रोमांस ला दिया। गौ क्रीडऩ देखने के लिए शहर के साथ आस पास के गांवों से बड़ी तादाद में लोग आए।
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