श्री प्रभु को धराया अलौकिक शृंगार
दीपावली व अन्नकूट पर द्वारिकाधीशजी को अलौकिक शृंगार धराया गया। श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारकाधीश मंदिर में दीपावली पर सुबह श्रीप्रभु के श्रीमस्तक पर श्वेत जरी की बड़े साज की कूल्हे, उस पर तेरह चन्द्रिका का सादा जोड़, फरूकसाई जरी का चाकदार वाघा, लाल अतलस की सूथन, लाल जरी का पटका एवं हीरा पन्ना माणक के आभरण के साथ तीन जोड़ी शृंगार से श्रीप्रभु का चित्ताकर्षक शृंगार किया व केसरी रेशमी ठाड़े वस्त्र धारण कराए। श्री प्रभु को सोने के बंगले में बिराजित किया। सायं भोग-आरती के दर्शनों में श्री प्रभु को अष्ट पहलू के गंगा-जमनी बंगले में बिराजित किया। शयन में मंदिर की कान तिबारी में सिंहासन पर बिराजित कर दर्शन कराए गए। इन्हीं दर्शनों के समय गाए लाकर गोवर्धन पूजा चौक से श्री प्रभु के सम्मुख ग्वालों ने खेल रचाए। दूसरे दिन श्रीप्रभु के श्रीमस्तक पर श्वेत जरी की मंझले साज की कूल्हे, उस पर ११ चन्द्रिका का सादा जोड़, जरी गोकर्ण, फरूकसाई जरी को चाकदार वाघा, लाल अतलस की सूथन, लाल जरी का कटि पटका तथा हीरा, पन्ना व माणक के आभरण एवं दो जोड़ी के शृंगार के साथ केसरी रेशमी ठाड़े वस्त्र धारण कराए।
गो-क्रीडऩ देखकर झलका उत्साह
आसोटिया स्थित श्री द्वारकाधीश गौशाला में खेंखरे पर गो-क्रीडऩ देख हर किसी का मन उत्साह व उल्लास छा गया। मंदिर के ग्वाल बालों ने कूपी बजा कर गायों को खूब खेलाया। गाय बछड़ों के इधर उधर उछलकूद ने आमजन में रोमांस ला दिया। गौ क्रीडऩ देखने के लिए शहर के साथ आस पास के गांवों से बड़ी तादाद में लोग आए।