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जानिए आखिर क्यों 70 फीसदी पशुपालकों को नहीं मिल पाता मुआवजा

वन्य जीवों द्वारा गांव -ढाणियों में मवेशियों के शिकार के बाद मुआवजे का मामला

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जानिए आखिर क्यों 70 फीसदी पशुपालकों को नहीं मिल पाता मुआवजा

केस एक
बागोटा निवासी रतनसिंह ने बताया कि गत माह उनके मवेशियों का पैंथर द्वारा शिकार किया गया। वनविभाग को सूचना देने पर टीम मौके पर आई, लेकिन टीम ने कहा अगर पशु का बीमा होता तभी मुआवजा मिलेगा तथा उन्हें पोस्टमार्टम भी करवाने के लिए नहीं कहा। इससे उन्हें मुआवजा नहीं मिला।
केस दो
खेमसिंह ने बताया कि गतमाह पैंथर ने आबादी क्षेत्र में बंधी उसकी गाय का शिकार किया, लेनिक पशु चिकित्सक व वनकर्मियों के मौके पर नहीं आने से वह मुआवजा राशि के लिए क्लेम नहीं कर पाया। जबकि उसके पास सिर्फ एक गाय ही थी।
केस तीन
१८ अगस्त को कालिंजर गांव की आबादी क्षेत्र में घुसकर पैंथर ने गांव के वरदा, ओगू, लक्ष्मण, वजयराम की एक-एक बकरी मार दी, लेकिन जानकारी के अभाव में उन्होंने पोस्टमार्टम नहीं करवाया, इससे वे लोग मुआवजा के लिए क्लेम नहीं कर पाए।
राजसमंद. वन्यजीवों द्वारा पालतू मवेशियों के शिकार के बाद मिलने वाली मुआवजा राशि में प्रमाण पत्र का अडंगा सामने आ रहा है। कई कारण ऐसे हैं जिससे गांव-ढाणियों के पीडि़त पशुपालक पशुचिकित्सकों से प्रमाणपत्र नहीं ले पाते, जिससे ७० फीसदी पशुपालक वनविभाग द्वारा देय मुआवजा राशि से वंचित हो रहे हैं।
यह मिलता है मुआवजा
वनविभाग ने गतवर्ष से मुआवजा राशि दो गुणी कर दी। इससे अब जनहानि होने पर ४ लाख, स्थाई अयोग्य होने पर २ लाख, अस्थाई अयोग्य होने पर ४० हजार रुपए, पालतू मवेशी भैंस, बैल, ऊंट का शिकार होने पर २० हजार, गाय का शिकार होने पर १० हजार, भैंस, गाय के पाड़े का शिकार होने पर ४ हजार, बकरी, बकरा, भेड़, गधे आदि का शिकार होने पर २ हजार रुपए की मुआवजा राशि वनविभाग द्वारा पशुपालक को क्लेम करने पर दी जाती है।
पशुपालक के लिए टेड़ी-खीर है पोस्टमार्टम
मुआवजा राशि लेने के लिए पशुपालक को मृतक मवेशी का पोस्टमार्टम करवाकर प्रमाणपत्र लेना होता है। ऐसे में जिले में पशु चिकित्सकों की कमी होने से बुलाने के बाद भी पशुचिकित्सक गांव व ढाणियों में पोस्टमार्टम के लिए नहीं आते। जो आते भी हैं वह पेट्रोल खर्च के नाम पर पशु मालिक से मोटी राशि मांगते हैं। अब पीडि़त पशु मालिक को मुआवजा तो महीनों और सालों के बाद मिलता है, जबकि पशुचिकित्सक को इस राशि का तुरंत भुगतान करना होता है। ऐसे में कई जागरूक पशुपालक भी मजबूरी के चलते पोस्टमार्टम नहीं करवा पाते।
घटना के बाद क्या करें पशुपालक
वन्यजीव ने पालतू मवेशी का शिकार किया है तो स्थानीय वनपाल, सहायक वनपाल या इससे ऊपर के वनाधिकारी को सूचना दें तथा मारे गए पशु को हटाएं नहीं, बुलाने पर भी वनविभाग के कार्मिक नहीं आएं तो मृतक पशु की फोटो खींचकर पशुचिकित्सक से उसका पोस्टमार्टम करवाकर मुआवजा राशि के लिए आवेदन करें।
प्रमाणपत्र तो देना ही होगा...
वन्यजीवों द्वारा मवेशियों का शिकार करने पर वनविभाग तभी मुआवजा देता है जब चिकित्सक इसबात की पुष्टि करे कि मवेशी की मृत्यु अन्य कारण से नहीं हुई है। इधर वनकर्मियों द्वारा मौका देखकर यह तय किया जाता है कि सम्भावित कौन से वन्यजीव ने शिकार किया है।
-फतेहसिंह राठौड़, डीएफओ, वन्यजीव राजसमंद