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Rajasthan: मानसून में बारिश से 7 मीटर तक ऊपर आया भूजल, फिर भी ‘अतिदोहन’ से खतरे में है कल,जानें, कारण

राजसमंद में इस साल बारिश के बाद ज़िले में औसतन 7.07 मीटर तक भू-जल स्तर में उछाल देखा गया है जो कि एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन इसी के साथ एक गंभीर सवाल भी उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो अतिदोहित श्रेणी में हैं।

राजस्थान में भूजल के अतिदोहन से जल संकट, पत्रिका फोटो

Rajsamand Ground Water: राजसमंद जिले में मानसून की अच्छी बारिश ने ज़मीन के नीचे पानी की मात्रा में इजाफा किया है। भू-जल सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक, इस साल बारिश के बाद ज़िले में औसतन 7.07 मीटर तक भू-जल स्तर में उछाल देखा गया है जो कि एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन इसी के साथ एक गंभीर सवाल भी उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो अतिदोहित श्रेणी में हैं। इनके लेवल को बराबर लाने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे तब जाकर इस श्रेणी से बाहर निकला जा सकेगा।

जिले की बात करें तो सात में से पांच ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में हैं। इस बार मानसून की जोरदार बारिश होने के आसार हैं। ऐसे में पानी की आवक ज्यादा होने के आसार हैं। वहीं जल संरक्षण की दिशा में किए जा रहे काम के चलते भी पानी का बेहतर संरक्षण हो सकेगा। जिससे जल स्तर में और बढोतरी होने की गुंजाईश बनी हुई है।

बारिश ने दी राहत, भू-जल ने ली लंबी छलांग

पोस्ट-मानसून सर्वे के अनुसार 2024 में मानसून पूर्व औसतन जलस्तर 12.32 मीटर था, जो बारिश के बाद घटकर 5.25 मीटर हो गया। यानी ज़मीन के नीचे से पानी सतह के काफी नजदीक आ गया। इसका सीधा मतलब है कि बोरिंग और कुओं से पानी निकालने में अब ज्यादा गहराई तक नहीं जाना पड़ेगा।

क्यों हो रहा है भूजल का अतिदोहन? जाने मुख्य कारण

ट्यूबवेल आधारित सिंचाई: परंपरागत जल-संरक्षण पद्धतियों की उपेक्षा करके खेतों में ट्यूबवेल का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है।
बिना योजना के बोरिंग: बिना सरकारी अनुमति या अध्ययन के बोरिंग की खुदाई से जलस्तर लगातार नीचे खिसकता जा रहा है।
पेयजल पर निर्भरता: कई क्षेत्रों में नलों और हैंडपंपों से जलापूर्ति के लिए भी भूमिगत जल पर ही निर्भरता है।
रिचार्ज सिस्टम की कमी: जलस्तर को फिर से भरने के लिए आवश्यक वर्षा जल संचयन प्रणाली, तालाब, जलाशय या रिचार्ज कुएं नहीं बनाए गए हैं।

तीन वर्षों में ब्लॉकवार भूजल स्तर की स्थिति

ब्लॉकवर्षा पूर्व 2021वर्षा पूर्व 2022वर्षा पूर्व 2023वर्षा पूर्व 2024
आमेट18.8420.5522.2316.84
भीम11.4013.1912.3012.04
देवगढ़12.3914.5215.8613.31
खमनोर 11.64 13.87 11.77 11.84
कुंभलगढ़ 11.44 16.08 15.91 11.39
रेलमगरा 12.81 16.98 16.10 14.44
राजसमंद 10.09 12.17 12.16 10.46
औसत जल स्तर मीटर में 12.34 14.96 14.76 12.32

ब्लॉक में भूजल दोहन की दर प्रतिशत में

आमेट अतिदोहित- 157.62
भीम अतिदोहित- 149.63
देवगढ़ अतिदोहित- 121.05
खमनोर संवेदनशील- 95.57
कुंभलगढ़ संवेदनशील- 95.44
रेलमगरा अतिदोहित- 141.39
राजसमंद अतिदोहित- 145.68
औसत भूजल अतिदोहित- 125.14

प्री मानसून के पहले और बाद के हालात पर एक नजर

ब्लॉक वर्षा पूर्व 2024 वर्षा के बाद 2024 वर्षा के बाद 2024
आमेट 16.84 8.7 8.778.77
भीम 12.04 3.73 8.31
देवगढ़ 13.31 4.16 9.15
खमनोर 11.84 5.83 6.02
कुंभलगढ़ 11.39 3.82 7.57
रेलमगरा 14.44 7.14 7.30
राजसमंद 10.46 4.78 5.68
औसत जल स्तर मीटर में 12.32 5.25 7.07

तो अब क्या करें? सिर्फ चिंता नहीं, समाधान भी जानिए!

हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य करें
हर गांव में एक कम-से-कम रिचार्ज कुंआ
‘एक खेत, एक तालाब’ अभियान चलाएं
टपक सिंचाई और फव्वारा पद्धति को बढ़ावा दें
‘बिना अनुमति बोरिंग = जुर्माना’ नीति लागू करें

इनका कहना है

मानसून की बारिश के चलते पानी के जल स्तर में इजाफा हुआ है जो एक सुखद संकेत हैं। लेकिन इसके बावजूद भी अतिदोहन वाले क्षेत्रों में जल स्तर को सुधारने की दिशा में काम किया जा रहा है। सात मीटर से अधिक पानी बढ़ना एक तरह से सुखद संकेत हैं। संदीप जैन, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भूजल सर्वेक्षण विभाग, राजसमंद