
राजसमंद. सेवाली से द्वारिकाधीश मंदिर तक बनने वाला एलीवेटेड रोड पिछले तीन साल से अधर झूल रहा है। इसके लिए दो बार प्रस्ताव बनाकर दिल्ली राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की बैठक में रखा गया, लेकिन दोनों प्रस्तावों को ही निरस्त कर दिया गया। ऐसे में तीसरी बार प्रस्ताव बनाकर फिर भेजा गया है। अब प्राधिकरण की बैठक का इंतजार है। वहां से एनओसी मिलने की स्थिति में वन विभाग की जमीन के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी। ऐसे में दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में एलीवेटेड रोड का धरातल पर उतरना मुश्किल दिखाई दे रहा है।
शहर में करीब 400 वर्ष से अधिक प्राचीन पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय की तृतीय पीठ का द्वारकाधीश मंदिर है। यहां पर प्रतिदिन सैंकडों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन मंदिर तक जाने का मार्ग अत्यंत संकरा व ढलान वाला है। इसके कारण दिनभर जाम के हालात बने रहते हैं। ऐसे में मंदिर तक आवाजाही को सुगम बनाने की मांग वर्षो से की जा रही है। इसके लिए करीब तीन साल पहले राज्य सरकार ने एलिवेटेड रोड निर्माण के लिए 30 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। इसकी डीपीआर तैयार करवाने के लिए 21 लाख भी स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन इस कार्रवाई को दो साल से अधिक होने के बावजूद अभी तक एलिवेटेड रोड की फाइल इधर से उधर ही घूम रही है। एलीवेटेड रोड के धरातल पर नहीं उतरने का मुख्य कारण प्रशासनिक एवं राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी को भी माना जा रहा है। पहले कांग्रेस सरकार थी, विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है। हालांकि वर्तमान में अभी लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई है। इसके हटने के बाद पुरजोर तरीके से प्रयास करने पर ही एलीवेटेड रोड की सौगात मूर्त रूप ले सकती है, अन्यथा यह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में जा सकता है।
नगर परिषद के चुनाव 2021 में हुए थे। यहां पर कांग्रेस का बोर्ड बनने के बाद जनसंवाद में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी जोशी की अनुशंसा पर तत्कालीन स्वायत्त शासन मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने घोषणा की थी। इसके तहत धारीवाल ने मंदिर तक आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग की अनुमानित लागत 30 करोड़ की मंजूदी दी थी।
नगर परिषद की ओर से विधानसभा चुनाव से पहले तीसरी बार प्रस्ताव बनाकर दिल्ली भेजा गया। इसमें नौ-चौकी के नीचे अरविन्द स्टेडियम के पीछे से वन विभाग की जमीन से होते हुए दयालशाह किले के पास से होते हुए द्वारकाधीश मंदिर तक जाने वाले मार्ग की पीपीटी तैयार करवाकर दिल्ली स्थित राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को भेजी गई है। वहां से उक्त प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने की स्थिति में इसके अन्तर्गत आने वाली वन विभाग की जमीन के लिए अनुमति की कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले नौ-चौकी से हुसैनी मस्जिद, सलूस रोड, अखाड़ा होते हुए द्वारिकाधीश मंदिर के नीचे स्थित जलघरा घाट तक एलीवेटेड रोड बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, जिसे निरस्त कर दिया गया। इसके बाद झील के निकट से प्रस्ताव बनाकर भेजा था, जिसे भी निरस्त कर दिया गया था।
नौ-चौकी पुरातत्व विभाग के अन्तर्गत आती है। ऐसे में स्मारक के 100 मीटर में दायरे में निर्माण प्रतिबंधित होता है। इसके बाद भी 200 मीटर क्षेत्र में निर्माण के लिए एनओसी की आवश्यकता होती है। उक्त एनओसी लेने के लिए पिछले दो साल से कवायद जारी है।
सेवाली से द्वारकाधीश मंदिर तक जाने के लिए करीब 3300 मीटर रोड का निर्माण होगा। इसमें एलीवेटेड रोड करीब 400 मीटर का होगा। इसके साथ ही पार्किंग बनाने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। हाइवे से प्रवेश करने वाले मार्ग को भी चौड़ा किया जाएगा।
सेवाली से मंदिर तक पहुंचने के लिए बनने वाले एलीवेटेड रोड के लिए पहले दो प्रस्ताव बनाकर दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को भेजे गए थे। वहां से उन्हें निरस्त कर दिया गया था। विधानसभा चुनाव से पहले तीसरी बार नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। वहां से एनओसी मिलने पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-तरूण बाहेती, एक्सईएन नगर परिषद राजसमंद
Updated on:
02 Jun 2024 12:37 pm
Published on:
02 Jun 2024 12:35 pm
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