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WATER CRISIS : जंगल में सूखने लगे प्राकृतिक जलस्रोत, पानी को भटकते वन्यजीव

वन विभाग ने कृत्रिम जलस्रोतों पर शुरू की सप्लाई

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राजसमंद. तापमान लगातार 40 डिग्री के आस-पास चल रहा है। पल-पल हलक सूख रहा है। ऐसे में इंसान को तो सहज रूप से पानी मिल जाता है लेकिन जंगलों में रहने वाले वन्यजीव और जानवर पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। बढ़े तापमान सेे जंगलों के प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं। हालांकि विभाग ने करीब १५ कृतिम जलस्रोतों में टैंकर से पानी की सप्लाई शुरू कर दी है। ६१० वर्ग किमी में फैले अभयारण्य में आरेट से छोटी ओदी व ठंडी वेरी तक लगभग ११ किमी में डेढ़ दर्जन से अधिक प्राकृतिक व कृत्रिम वाटर हॉल है। लेकिन इनमें से अधिकतर सूख गए है। पार्क के रिछा वेरा, जडू का बांध, जाया रेस्ट हाउस के पास, माउड़ी खेत, मीठी बोर, भंवर वल्ला व पालर वनखंड में स्थित कृतिम वाटर हॉल पर टैंकर से सप्लाई शुरू की गई है।

कुम्भलगढ़ अभयारण्य की फैक्ट फाइल
६१० वर्ग किमी में वन्यजीव अभयारण्य
१८ से अधिक प्राकृतिक वॉटर हॉल
०५ से अधिक सूखे
७० से अधिक कृत्रिम जलस्रोतों में होती है टैंकर से सप्लाई
१५९१७.७६ हेक्टयर अन्य वन भूमि
२० प्राकृतिक वॉटर *****
०७ से अधिक सूखे

डलवा रहे हैं पानी
जंगल में पानी की समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने कृतिमजल स्रोतों पर पानी डलवाने की व्यवस्था शुरू कर दी है।
कुमार स्वामी गुप्ता, उपवन संरक्षक राजसमंद

गर्मी में बढ़ी मटकों की मांग
देवगढ़. तपती धूप व गर्मी के चलते नगर में इन दिनों देशी फ्रीज यानी मटके की डिमांड काफी बढ़ गई है। इलेक्ट्रोनिक फ्रीज के आधुनिक समय में भी लोगों का कहना है कि प्यास मटके के पानी से ही बुझती है। यही कारण है कि नगर में जहां-तहां लगी प्याऊ पर भी मटकों में भी पानी भरकर रखा जा रहा है। नगर में कुम्हारों का मोहल्ला व तीन बत्ती चौराहा के निकट मटके बेच रहे कुम्हारों के अनुसार देशी फ्रीज की मांग में आज भी कोई कमी नहीं आई। बस इतना अंतर है कि अब महंगाई के इस दौर में घड़ों के दाम पहले से बढ़ गए हैं, लेकिन खर्च अधिक होने से मुनाफा अवश्य घट गया है। अभी बाजार में 50 रुपए से लेकर 300 रुपए तक के मटके उपलब्ध हैं।