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वन्यजीवों को लुभा रहे आबादी में घूमते मवेशी

जंगल की आपेक्षा यहां सरलता से मिलता है शिकार

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वन्यजीवों को लुभा रहे आबादी में घूमते मवेशी

राजसमंद. आबादी क्षेत्रों में लगातार पैंथर के विचरण का कारण गली मोहल्लों में घूमते मवेशी व श्वान को माना जा रहा हैं। जंगल की आपेक्षा वन्यजीवों को आबादी क्षेत्र में आसानी से शिकार मिल जाता है, जिससे शिकार की तलाश में उनका आबादी क्षेत्रों में विचरण रहता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर गली मोहल्लों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए तो वन्यजीवों का आबादी में विचरण कम हो सकता है।


आबादी में आसानी से मिल रहा शिकार
जिले में वन भूमि के साथ ही आबादी क्षेत्र है, आबादी से सटे इलाके में मवेशियों को छोडक़र साकाहारी वन्यजीवों की संख्या काफी कम है, जिससे पैंथर, भालू जैसे मांसाहारी वन्यजीवों को जंगल में शिकार करने में खासी समस्याएं आती हैं, जबकि आबादी क्षेत्रों में लोग बाड़े में पशुओं को बांधते हैं, जिनकी पर्याप्त ऊंचाई नहीं होने से मांसाहारी वन्यजीवों को आसानी से शिकार मिल जाता है। अगर आबादी क्षेत्रों में साफ-सफाई रखी जाए, मवेशियों को बंद जगह रखें तो काफी हद तक पैंथरों को आबादी में आने से रोका जा सकता है।


बंद खदानें बनी रहना का अड्डा
जिले की बंद मार्बल खदानों में पैंथरों सहित अन्य हिंसक वन्यजीवों को रहने के लिए अच्छी जगह मिल जाती है। पास की आबादी में उसे पर्याप्त भोजन मिलता है, इस कारण भी पैंथर आबादी में ज्यादा आते हैं।


यह करें उपाए
-रात को मवेशी सुरक्षित स्थान पर बांधे।
-बेहतर स्वच्छता के उपाए अपनाने चाहिए
-घर के आस-पास कचरा नहीं रहने दें क्योंकि कचरा होने से स्वान या मवेशी वहां रुकते हैं, जिससे पैंथर के वहां आने की सम्भावना बढ़ जाती है।
-गांवों में कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
-गांवों में उचित शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
-पैंथर अगर किसी मवेशी का शिकार कर ले तो उसे भगाने का प्रयास नहीं करें बल्कि उसे खा लेने दे ताकि वह दूसरे मवेशियों पर हमला नहीं करे।
-मवेशी जिस बाड़े में बांधे, उसकी दिवारों की ऊंचाई का विशेष ध्यान दें, ताकि वह फलांग नहीं सके।
-कभी पैंथर के पीछे भागने या उस पर पत्थर फेंकने की गलती नहीं करें। क्योंकि ऐसे में वह आत्मरक्षा पर हमला कर सकता है।
- पैंथर को समूह बनाकर घेरने की कोशिश नहीं करें ऐसे में वह आक्रामक हो जाता है।

पिंजरे से नहीं होता समाधान...
वन्यजीव अभयारण्य के डीएफओ फतेहसिंह राठौड़ कहते हैं कि पैंथर जब आबादी क्षेत्र में आते हैं तो ग्रामीण पिंजरा लगाने की मांग करते हैं, लेकिन पिंजरा लगाकर पैंथर पकडऩे से समस्या समाप्त नहीं होती, क्योंकि अगर एक जगह से एक पैंथर को पकड़ लिया जाए तो वहां दूसरा पैंथर आ जाता है। नया पैंथर अपना इलाका बनाने के लिए क्षेत्र में और ज्यादा विचरण करता है, जिससे मानव और पैंथर के टकराव और बढ़ते हैं, अगर आबादी क्षेत्रों में घूमते मवेशियों को कम किया जाए, साफ-सफाई रखी जाए तो हम काफी हद तक आबादी क्षेत्रों में पैंथर के विचरण को रोक सकते हैं।

बुखार से पीडि़त पैंथर शावक आया आबादी में

खमनोर. क्षेत्र की भैंसाकमेड पंचायत के उसरवास गांव में सोमवार सुबह एक खेत में पैंथर शावक के दिखने पर मौके पर ग्रामीणों की भीड़ लग गई। बाद में सूचना पर वन विभाग की टीम व पुलिस मौके पर पहुंची। वनकर्मी पैंथर को पिंजरे में डालकर उसे उदयपुर ले गए। चाकतोड़ी चौराहा के समीप उसरवास गांव के एक खेत में पैंथर शावक सुबह के समय खेत में इधर-उधर घूम रहा था। वह लोगों के आने के बाद भी वहां से भाग नहीं पा रहा था, जिससे ग्रामीणों ने अंदाज लगाया कि शायद वह घायल या बीमार है। हालांकि उसके शरीर पर चोट के कोई निशान दिखाई नहीं दिए। उसे सबसे पहले रास्ते से गुजरने वाले लोगों व खेत पर जाने वाले किसानों ने देखा।इसको लेकर ग्रामीणो ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी। इस पर वन विभाग से वनपाल उद्दल आचार्य, लोकेंद्रसिंह, नंदलाल, राजसमंद से लच्छीराम, अशोक वैष्णव, दयाराम एवं खमनोर थानाधिकारी नवल किशोर चौधरी, हेड कॉन्स्टेबल दशरथ सिंह, कॉन्स्टेबल जोधाराम देवासी, किशनलाल मौके पर पहुंचे। इसके बाद वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू करते हुए शावकको जाल के माध्यम से पकडक़र पिंजरे में डाला। इसके बाद उसे चिकित्सकीय जांच के लिए उदयपुर ले जाया गया।
लगी फोटो खींचने की होड़: पैंथर शावक को पकड़े जाने के बाद मौके उसके साथ फोटो खिंचवाने को लेकर लोगों में होड़ सी लग गई।