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बेबसी: 20 वर्षों से सरकारों से घर मांगते-मांगते मर गया पति, अब महिला और बच्चे मदद की लगाए बैठे आस

Highlights -पक्का मकान बनाने को नहीं मिल रही सरकारी मदद -बेबसी की जिंदगी जीने वाली महिला की दर्दनाक दस्ता -गत 20 वर्षों से नहीं मिली किसी तरह की मदद

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रामपुर। महज एक घर के लिए एक परिवार का मुखिया बीते 20 वर्षों से सपा, बसपा, भाजपा की सरकारों में अपने जनप्रतिनिधियों और अफसरों के यहां गुहार लगाते लगाते बीती 10 मई 2020 को इस दुनिया से रुक्सत हो गय। अब उसकी पत्नी और बच्चे योगी सरकार और सरकारी तंत्र से आस लगाए बैठे हैं कि एक दिन जरूर उन्हें घर मिलेगा। दरअसल, जिले की तहसील सदर के गाँव अफजलपुर पट्टी गाँव में आज भी एक महिला बेबसी की जिंदगी जी रही है, जबकि इनका पति हनीफ बेबसी की जिंदगी जीते-जीते बीते 10 मई 2020 को दुनियां से रुकसत हो गया।

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महिला और उसके बेटे की मानें तो गाँव वालों पर ही ये पूरा परिवार निर्भर है। घर पूरी तरह खंडहर है। उसमें न तो सोने के लिए पर्याप्त चारपाई हैं, न ही बिस्तर। इतना ही नहीं, इनके पस खाने तक को राशन नहीं है। राशनकार्ड से जो भी अनाज मिलता है, उसी से परिवर क लालन-पोषण किया जाता है। मृतक हनीफ की पत्नी का कहना है कि गांंव के लोग ही उनकी मदद करते हैं। इनके घर के तीनों दिशाओं में लोगों के पक्के घर हैं। एक इन्हीं का घर है जो मिट्टी का बना है। गांव के लोगों ने कुछ मदद करके सीमेंट की चादर अब लगा दी हैं। जबकि पहले परिवार को बरसात के मौसम में बारिश के बीच रहना होता था।

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वहीं इस मामले में जब बीडीओ राम किशन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी 3192 लोग जो छूटे हुए थे उनका डाटा फीड करवाया है। हर हाल में घर बनेगा, जैसे ही सरकार से आगे की रणनीति बनेगी। जो पात्र थे, उनका घर बन चुका है। जो पात्र नहीं थे पर जमीनी तौर पर पात्रता की श्रेणी में आते हैं उनका डाटा फीड हो गया है , जल्द ही मकान बनवाया जाएगा।