
संस्मरण का संदूक, समीक्षा के सिक्के - प्रो अजहर हाशमी,संस्मरण का संदूक, समीक्षा के सिक्के - प्रो अजहर हाशमी,संस्मरण का संदूक, समीक्षा के सिक्के - प्रो अजहर हाशमी
रतलाम।
लेखक, चिंतक व साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी द्वारा संस्मरण का संदूक, समीक्षा के सिक्के शीर्षक से लिखी गई पुस्तक का गुरुवार की दोपहर लेखक डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने वर्चुवल विमोचन किया। विमोचन करते हुए डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि संस्मरण एक साहित्य विधा है जिसमें कवि महादेवी वर्मा से लेकर अज्ञेय तक ने नूतन आयाम रचे। प्रो. हाशमी ने संस्मरण पर लेखन कर संस्मरण की दिशा व दशा बदल दी है। प्रो. हाशमी द्वारा लिखे संस्मरण पढ़कर ऐसा लगता है कि वे बोलते हुए संस्मरण है।
पुस्तक में देश के कई प्रसिद्ध साहित्यकारों, लेखकों, गीतकारों, योग विशेषज्ञ आदि से सम्बन्धित संस्मरण व समीक्षाएं है। प्रो हाशमी ने 296 पृष्ठ की इस पुस्तक में अनेक साहित्यकारों, लेखकों आदि से हुई उनकी मुलाकातों व यादों का साहित्यिक भाषा में शानदार तरीके से विवरण दिया है। पुस्तक में पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, साहित्यकार सत्यनारायण सत्तन से लेकर डॉ. मोहन गुप्त, कहानीकार हरिमोहन बुधोलिया से लेकर पद्मश्री मेहरुन्निशा परवेज, चिंतक डॉ प्रेम भारती से लेकर बाल साहित्य के विशेषज्ञ डॉ विकास दवे तक, कवि प्रदीप पंडित से लेकर लेखिका प्रवीणा दवेसर व शब्द शिल्पी जगदीश चतुर्वेदी से लेकर व्यंगकार शरद जोशी तक के बारे में कई जानकारियां दी गई है।
प्रकाशक राकेश सिंह ने पुस्तक के बारे में कहा है कि प्रो. हाशमी के लेखन की एक विशेषता है। उनकी लेखन दृष्टि एकांकी नहीं है। जो बात उनके दिल तक पहुंचती है, वही शब्दों में रूपाकार हो उठती है। पाठको के दिलों में घुसपैठ करने की उनकी रचना प्रक्रिया इतनी प्रबल है कि उन्हें विषय तलाशने नहीं पढ़ते। विषय तो उनके ह्रदय से गुजरते हुए उनकी कलम से झरने लगते हैं। इस पुतस्क को पढ़कर पाठकों को कुछ ऐसा ही एहसास होगा। संस्मरण व समीक्षा विधा पर प्रो हाशमी की यह दूसरी पुस्तक है।
Published on:
14 Jan 2022 08:00 am
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