शहर के मोहन नगर में रहने वाली एक पत्नी अचानक उदास रहने लगी। अकेले कमरे में रहती। परिवार से दूरी बना ली। हमेशा पॉजिटिव सोच वाली महिला के नकारात्मक सोच व अकेले रहने की आदत ने पति को चिंतित किया। इसके बाद जब महिला को पति चिकित्सक के पास लेकर गया। बाद में पता चला कि लॉक डाउन में पति के लगातार घर में रहने व भोजन की फरमाईश ने महिला को तनाव में ला दिया था। इसके बाद महिला की काउंसलिंग चिकित्सक की मदद से की गई। इसके बाद महिला के जीवन में तनाव कम हुआ।
हमेशा परिवार व दोस्तों के बीच हसमुंख रहने वाले अजंता टाकिज रोड का एक युवक पिछले माह से चुपचुप रहने लगा। अकेले में रहने की आदत हो गई। जब परिवार ने बात की तो सामने आया कि युवक को अपने केरियर की चिंता सताने लगी थी। कोरोना काल में जब वैंकेसी नहीं निकल रही तो केरीेयर किस तरह बनेगा यह सोच 18 वर्ष के युवा पर हावी होने लगी थी। इसके बाद चिकित्सक की मदद ली गई। युवक को समझाया गया कि नौकरी के लिए अनेक अवसर है, लेकिन तनाव में नहीं आना चाहिए।
– माता पिता अपने बच्चों को अकेले नहीं छोड़े व उनसे लगाातर बातचीत, आपस में खेल आदि जारी रखे।
– तनाव जब हावी हो तो सुबह जल्दी उठक र सूर्य की पहली किरण मिले इसका प्रयास करें।
– ऑनलाइन ही दोस्तों से बातचीत का प्रयास करें।
– कम से कम 15 मिनट तेज कदम वॉक करें।
– पानी की मात्रा व पौष्टिक आहार को बढ़ाएं।
– जो पसंद हो या हॉबी हो उस कार्य को करें।
परिवार हो या एक मरीज, तनाव वहां पनपता है जहां आपस में बातचीत कम होती है। जहां तक हो कोरोना काल में एक समय तो परिवार साथ में चर्चा करते हुए भोजन करें। आपस में बात निरंतर करें। कोरोना काल कें पूर्व के मुकाबले अब तनाव के मरीजों की संख्या में बढ़ी है। इसमे भी पति पत्नी के बीच तनाव वाले अधिक आ रहे है।
– डॉ. निर्मल जैन, मनौचिकित्सक, सिविल अस्पताल रतलाम