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madhya pradesh election 2018 बस एक बुंद पानी आज तक नहीं आया यहां पर, चुनाव में है सबसे बड़ा मुद्दा

madhya pradesh election 2018 बस एक बुंद पानी आज तक नहीं आया यहां पर, चुनाव में है सबसे बड़ा मुद्दा

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Floating chemical on the water

आशीष पाठक

रतलाम। जिला मुख्यालय रतलाम से पांच किमी दूर सागोद पंचायत में विधानसभा चुनाव के लिए सडक़, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के बजाय पानी की मुद्दा सबसे गर्म है। इस गांव में पानी की एक भी टंकी भी नहीं है। ग्रामीण पानी उस पाइप लाइन में से भरते हैं जो धोलावाड़ से शहर के लिए आती है, पानी शहर के लिए आता है लेकिन गांव वाले इसी पाइपलाइन से पानी लेते हैं, ग्रामीणों ने जनभागीदारी के तहत टंकी बनवाने के लिए पैसा भी जमा कर दिया है लेकिन टंकी नहीं बन पाई।

1500 मतदाता वाले इस पंचायत ने एक स्वर में 2008 के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था, तब इनकी मांग जर्जर सडक़ को सुधारने की थी। बाद में सडक़ बनी, लेकिन तब से अब तक पानी की टंकी नहीं बन पाई। पानी के मुद्दे पर नेता चुनाव तो जीत जाते हैं, लेकिन जीत के बाद मुद्दा प्राथमिकता से दूर हो जाता है। अब जब चुनाव करीब है, ग्रामीण यही सवाल करते है कि उनके गांव में कभी पानी की समस्या का समाधान होगा या नहीं।

राशि जमा करवाई

इस पंचायत से जुडे़ गांव में खेतलपुर, सागोद, हरथली, राजापुरा, सागडामार, धबाईपाड़ा, सांवलियामंडी व चिल्लर शामिल है। इस बात का मलालगांव के शंभुलाल हो या जगदीश धबाई, कहते है कि छह माह पूर्व गांव के दो युवाओं ने निजी खाते से जनभागीदारी से टंकी बनाने के लिए शासन को 7 माह पूर्व राशि जमा करवाई। 74 लाख रुपए की लागत वाली टंकी के लिए 2.10 लाख रुपए गांव के सरपंच अशोक धाकड़ व समाजसेवी दुर्गेश धाकड़ ने मिलकर जमा किए।

लागत बढऩे की आशंका


अब जब चुनाव की घोषणा हो गई तो इनको इस बात का मलाल है कि टंकी नहीं बन पाएगी। बाद में लगात बढ़ जाएगी। ग्रामीणों के अनुसार दिसंबर में चुनावी नतीजे आ भी गए तो फरवरी-मार्च में फिर से लोकसभा चुनाव की आचार सहिंता लग जाएगी। इस गांव में रतलाम से आना-जाना करना हो तो रेल फाटक पर खडे़ रहकर उसके खुलने का इंतजार करना होता है। दिन में दर्जनों बार ये फाटक बंद रहता है। इसकी वजह ये है कि ये दिल्ली-मुंबई का व्यस्त रेल मार्ग है। एेसे में 130 यात्री ट्रेन व 70 मालगाडि़यों का परिचालन होता है। एेसे में जब कभी गंभीर बीमारी को मरीज होता है तो मजबूरी में फाटक के खुलने का इंतजार करना होता है।

उम्मीद कायम है, कभी तो हल होगा

गांव में पानी की टंकी हो जाए, कनेरी डैम का पानी गांव को मिले, रेल फाटक का समाधान हो, ये बडे़ चुनावी मुद्दे है। जीतने के लिए सभी बोलते है कि पानी की समस्या हल होगी, लेकिन आज तक कुछ नहीं किया गया।
- जगदीश धबाई, मतदाता ग्राम पंचायत सागोद

हम प्रयास कर रहे है

पंचायत में पेयजल व रेल फाटक सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा। पंचायत में काम तो काफी हुए। बड़ी बात ये है कि 35 वर्षो बाद हाईस्कूल भवन बना व शुरू भी हो गया। लेकिन ये सब विकास पानी के मुद्दे के आगे गौण है।

- अशोक धाकड़, सरपंच, सागोद ग्राम पंचायत