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ये हैं देश के चमत्कारिक महादेव मंदिर जहां महादेव दर्शन से पहले स्वयं कराते है भक्तों को स्नान

ये हैं देश के चमत्कारिक महादेव मंदिर जहां महादेव दर्शन से पहले स्वयं कराते है भक्तों को स्नान

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mahadev temple in madhya pradesh

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रतलाम। मध्यप्रदेश का मालवा मुगलकाल से प्रसिद्ध रहा है। मालवा की गर्मी की रातों में सर्द भरी हवाओं के बारे में तो अनेक राजाओं ने काफी कुछ कहा हैै। लेकिन हम आज आपको इससे कुछ हटकर बताने जा रहे है। मालवा क्षेत्र के पश्चिम में मुख्य सड़क से आधा से एक किलोमीटर नीचे पहाडि़यों में देवों के देव महादेव के अनेक एेसे मंदिर हैं, जिनके दर्शन के लिए भक्तों को महादेव स्वयं जल से शुद्ध कर देते है।

मध्यप्रदेश के मालवा में अनेक एेसे मंदिर है जिनको देखने के लिए दूर-दूर से काफी पर्यटक आते है। इन दिनों स्कूल चल रहे है व कुछ समय बाद स्कूलों में अवकाश होने वाला है। एेसे में अगर आप महादेव के भक्त है तो आपको इन मंदिरों के दर्शन जरूर करना चाहिए। बड़ी बात ये है कि इन मंदिरों में दर्शन के पूर्व झरने के नीचे से होकर निकलना होता है। इसलिए ये कहा जाता है कि महादेव स्वयं अपने भक्तों को दर्शन देने के पूर्व शुद्ध कर देते है।

सबसे पहले रतलाम का केदारेश्वर

रतलाम के सैलाना क्षेत्र में बड़ा व छोटा केदारेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। ये महादेव मंदिर मुख्य सड़क से 500-600 मीटर की गहराई में पहाड़ों के बीच है। यहां आने पर आपको एक या दो नहीं, बल्कि तीन मनमोहने वाले झरने मिलेंगे। मंदिर जाने के लिए इन झरनों के बीच में से होकर निकलना जरूरी है। झरनों का पानी महादेव मंदिर के सामने बने कुंड में गिरता है। इन मंदिरों को ४०० वर्ष पूर्व का बताया जाता है। मंदिर भी अलग से नहीं बने, बल्कि गुफा के अंदर प्रकट हुए है। रतलाम आने के लिए रेल, सड़क मार्ग से देश के किसी भी स्थान से आया जा सकता है। रतलाम में काफी बेहतर होटल है व शुद्ध भोजन की समस्या भी नही है।

ईसरथुनी का झरना

रतलाम से करीब 8-9 किलोमीटर दूर स्थित ये जगह प्राकृतिक है। छोटी-छोटी नदियों का पानी 10 से 12 मीटर ऊंचाई से नीचे गिरता है। 12 से 15 मीटर चौडे़ गिर रहे झरने को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटन को पसंद करने वाले लोग आते है। इसी तरह शहर से करीब 8-10 किमी दूर जामण पाटली पर भी नदी व हनुमान मंदिर दर्शन करने लोग आते है।

नीमच में है ये स्थान

मालवा का अंतिम व राजस्थान को टच होने वाला जिला है नीमच। जिला मुख्यालय से करीब 40-45 किलोमीटर दूर मनासा तहसील में कंजार्डा के करीब भर्डादोह का झरना तो राजस्थान तक प्रसिद्ध है। ये झरना न सिर्फ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है, बल्कि यहां पर तीन नदियों का संगम होात है। बताया जाता है कि नदी के करीब शेर की गुफाएं भी है।

इस डेम को देखने आते है कई नेता

इसी तरह जाजू सागर डेम भी है। जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर हर्कियाखाल के पास जाजू सागर डेम है। प्राकृतिक नजारें, मनमोहक दृश्य को देखने तो देश के कई नेता आते है। यहां पर पर्यटकों को लाने के लिए अनेक निजी बस सहित अन्य परिवहन की सुविधा है।

यहां डेम पर बहती है चादर

भंवरमाता का झरना जिला मुख्यालय से 26 किमी दूर है। 60 फीट ऊंचा प्राकृतिक झरना व स्टापडेम पर बहने वाली चादर कहते है कि एक बार पर्यटक देख ले तो बार-बार यहां आना पसंद करते है। यहां पर मां भंवरमाता का मंदिर विराजित है। इनके दर्शन करने न सिर्फ लोग दूर-दूर से आते है, बल्कि कहा जाता है कि जो यहां कुछ भी मांगता है, वह इच्छा जरूर पूरी होती है